Hindi, asked by rockybat786, 4 months ago

बहन को नए साल का पत्र​

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Answered by yashikasharma902466
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Answered by ranjanasamant680
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पत्र लेखन दो व्यक्तियों के बीच संवाद स्थापित करने का एक साधन है। प्राचीन समय में भी इसका प्रचलन रहा है। आज भी है, परंतु प्रारूप में परिवर्तन आ गया है।

सूचना-क्रांति के इस युग में मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट आदि के प्रचलन से पत्र-लेखन में कमी आई है, फिर भी पत्रों का अपना विशेष महत्त्व है और रहेगा।

अन्य कलाओं की तरह ही पत्र-लेखन भी एक कला है। पत्र पढ़ने से लिखने वाले की एक छवि हमारे सामने उभरती है। कहा गया है कि धनुष से निकला तीर और पत्री में लिखा शब्द वापस नहीं आता है, इसलिए पत्र-लेखन करते समय सजग रहकर मर्यादित शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए।

अच्छे पत्र की विशेषताएँ-एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-

1. पत्र की भाषा सरल, स्पष्ट तथा प्रभावपूर्ण होती है।

2. पत्र में संक्षिप्तता होनी चाहिए।

3 . पत्र में पुनरुक्ति से बचना चाहिए, जिससे पत्र अनावश्यक लंबा न हो।

4. पत्र में सरल एवं छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए तथा उनका अर्थ समझने में कोई कठिनाई न हो।

5. पत्र में इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए कि उसमें आत्मीयता झलकती हो।

6. एक प्रकार के भाव-विचार एक अनुच्छेद में लिखना चाहिए।

7. पत्र में धमकी भरे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

8. पत्र के माध्यम से यदि शिकायत करनी हो तो, वह भी मर्यादित शब्दों में ही करना चाहिए।

9. पत्र में प्रयुक्त भाषा से आडंबर या दिखावा नहीं झलकना चाहिए।

10. पत्रों के अंगों आरंभ, कलेवर और समापन में संतुलन होना चाहिए।

पत्र के प्रकार

पत्र के प्रकारपत्र मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं-

1. अनौपचारिक पत्र-

अनौपचारिक पत्र-अनौपचारिक पत्रों का दूसरा नाम व्यक्तिगत पत्र भी है। ये पत्र अपने मित्रों, रिश्तेदारों, निकट संबंधियों तथा उन्हें लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा नजदीकी या घनिष्ठ संबंध होता है। इन पत्रों में आत्मीयता झलकती है। इनका कथ्य निजी एवं घरेलू होता है।

2. औपचारिक पत्र-

औपचारिक पत्र-इस प्रकार के पत्र सरकारी, अर्धसरकारी कार्यालयों, संस्थाओं आदि को लिखे जाते हैं। इनमें प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, शिकायती पत्र, सरकारी-अर्धसरकारी पत्र आदि शामिल हैं।

औपचारिक पत्र-इस प्रकार के पत्र सरकारी, अर्धसरकारी कार्यालयों, संस्थाओं आदि को लिखे जाते हैं। इनमें प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, शिकायती पत्र, सरकारी-अर्धसरकारी पत्र आदि शामिल हैं।ध्यान दें – नौवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में केवल अनौपचारिक पत्र निर्धारित है। यहाँ अनौपचारिक पत्रों के बारे में हम विस्तारपूर्वक पढ़ेंगे।

अनौपचारिक पत्र कैसे लिखें-

अनौपचारिक पत्र के विभिन्न अंगों को ध्यान में रखकर ये पत्र निम्नलिखित चरणों में लिखे जाते हैं-

1. लिखने वाले का पता एवं दिनांक-

पत्र लेखन का आरंभ पत्र लेखक अपना पता और दिनांक लिखकर करता है। इसे बाएँ कोने में सबसे ऊपर लिखा जाता है। पहले पता लिखकर उसके ठीक नीचे दिनांक लिखना चाहिए।

2. संबोधन-

दिनांक से ठीक नीचे अगली पंक्ति में उसके लिए संबोधन लिखा जाता है, जिसे हम पत्र भेज रहे हैं। (उचित संबोधन के लिए तालिका देखें।)

3. अभिवादन-

संबोधन से अगली पंक्ति में पत्र पाने वाले के लिए उसकी उम्र, संबंध आदि के अनुसार उचित अभिवादन सूचक शब्द लिखा जाता है। (कृपया तालिका देखें।)

4. पत्र का कलेवर-

इसे पत्र की सामग्री या विषय-वस्तु भी कहा भी जाता है। यह पत्र का मुख्य भाग है। हम जो कुछ भी कहना चाहते हैं, उसे इसी अंश में लिखा जाता है। भाव एवं विचार के अनुसार इसे अनुच्छेदों में बाँटा जा सकता है।

5. पत्र का समापन-

पत्र को समाप्त करते समय पत्र पाने वाले के लिए यथायोग्य अभिवादन ज़रूर लिखना या ज्ञापित करना चाहिए।

6. स्वनिर्देश- यह पत्र का अंतिम चरण है। इस चरण में पत्र लिखने वाला अपने संबंध में उल्लेख करता है। इसमें पत्र पाने वाले

के साथ संबंध और अपनी आयु का ध्यान रखना चाहिए। (स्वनिर्देश के लिए तालिका देखें।)

ध्यान दें – प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश आदि पत्र बाईं ओर से लिखने का प्रचलन है।

ध्यान दें – प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश आदि पत्र बाईं ओर से लिखने का प्रचलन है।संबोधन, अभिवादन और समापन के शब्द|||||

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