Physics, asked by anialidubey, 9 months ago

bhanjak pratibal kya hai​

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Answered by anujkum364
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Answer:

जब किसी वस्तु या तार पर प्रत्यास्थता सीमा से बाहर भार लटकाया जाता है तो तार में विकृति बहुत ही तेजी से उत्पन्न होती है। तार पर कार्यरत प्रतिबल का वह अधिकतम मान जिस पर वह वस्तु या तार बहना शुरू कर देता है और अंत में टूट जाता है , प्रतिबल के इस मान को भंजक प्रतिबल कहते है इसे तार या वस्तु की तनन शक्ति भी कहते है।

तथा इस भंजक प्रतिबल के संगत बल जिसके कारण तार टूट जाता है उस बल के मान को भंजक बल कहते है।

किसी तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल का मान जितना अधिक होता है उस तार के लिए भंजक बल का मान उतना ही अधिक होता है दुसरे शब्दों में कहे तो भंजक बल का मान तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के समानुपाती होता है।

यदि किसी तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A हो तो इसे निम्न प्रकार लिखा जा सकता है –

भंजक बल ∝ A

भंजक बल = P x A

यहाँ P एक समानुपाती नियतांक है जिसको भंजक प्रतिबल कहा जाता है।

P का मान किसी भी पदार्थ के लिए नियत होता है और इसका मान तार की मोटाई व लम्बाई से अप्रभावित रहता है अर्थात यह पदार्थ पर निर्भर करता है उसकी मोटाई या लम्बाई पर नही।

भंजक प्रतिबल : वह अधिकतम बल का मान जिसको कोई पदार्थ किसी वस्तु पर लगाने से वह उसे सहन न कर पाए और टूट जाये और प्रतिबल को भंजक प्रतिबल कहते है और उस अधिकतम बल के मान को भंजक बल कहा जाता है जिस पर वस्तु या तार टूट जाता है।

माना किसी वस्तु का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है तथा इस पर F बल लगाया जाता है तो इसके लिए भंजक प्रतिबल का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है।

भंजक प्रतिबल = F/A

किसी वस्तु या तार के लिए भंजक प्रतिबल का मान इसलिए ज्ञात किया जाता है ताकि हमें यह पता रहे की वह तार या वस्तु कितना बल सहन कर सकती है और यदि हमने इससे ज्यादा बल इस पर आरोपित किया तो यह तार टूट जायेगा। अत: यह सुरक्षा की दृष्टि से बहुत जरुरी है

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