भर लो, भर लो अपने मन में मीठी-मीठी मृदुल उमंग। पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो, कितना ही सिर पर हो भार नभ कहता है फैलो इतना, ढक लो तुम सारा संसार। क) उपर्युक्त पद्यांश के माध्यम से पृथ्वी हमें क्या सीख देती है? ख) 'सिर' एवं 'पहाड़' के समानार्थी शब्द पद्यांश में से ढूँढकर लिखिए। ग) 'पृथ्वी' शब्द का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
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i. prithvi hume dharya na chodne ki sikh deti hai.
ii.sir- shish, pahad- parvat
iii. hume prithvi ko pradushit nahi karna chahiye
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