Hindi, asked by ashu1324, 1 year ago

भरात को हॉकी का राष्ट्रीय खेल क्यों मन जाता है


ashu1324: dont leave answer

Answers

Answered by EricaCool13
19
एक खेल की लोकप्रियता के आधार पर या उस देश के ऐतिहासिक संबंधों के आधार पर  किसी खेल को देश का राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिया जाता है। हॉकी खेल हमारे देश में एक लंबे समय से खेला जा रहा हो इसलिए यह हमारा राष्ट्रीय खेल है और इस खेल से कई ऐतिहासिक कहानियाँभी जुड़े हुए हैं। देश के राष्ट्रीय खेल के रूप में एक खेल को निर्दिष्ट करने का सबसे स्पष्ट कारण यह है कि वह खेल उस देश के लोगों के दिलों में गर्व का कारण होना चाहिए।
Answered by dhananjay2345
3
हॉकी एक ऐसा खेल है जिसमें दो टीमें लकड़ी या कठोर धातु या फाईबर से बनी विशेष लाठी (स्टिक) की सहायता से रबर या कठोर प्लास्टिक की गेंद को अपनी विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने की कोशिश करती हैं। हॉकी का प्रारम्भ वर्ष 2010 से 4,000 वर्ष पूर्व मिस्र में हुआ था। इसके बाद बहुत से देशों में इसका आगमन हुआ पर उचित स्थान न मिल सका। भारत में इसका आरम्भ 150 वर्षों से पहले हुआ था। 11 खिलाड़ियों के दो विरोधी दलों के बीच मैदान में खेले जाने वाले इस खेल में प्रत्येक खिलाड़ी मारक बिंदु पर मुड़ी हुई एक छड़ी (स्टिक) का इस्तेमाल एक छोटी व कठोर गेंद को विरोधी दल के गोल में मारने के लिए करता है। बर्फ़ में खेले जाने वाले इसी तरह के एक खेल आईस हॉकी से भिन्नता दर्शाने के लिए इसे मैदानी हॉकी कहते हैं। चारदीवारी में खेली जाने वाली हॉकी, जिसमें एक दल में छह खिलाड़ी होते हैं और छह खिलाड़ी परिवर्तन के लिए रखे जाते हैं।

हॉकी के विस्तार का श्रेय, विशेषकर भारत और सुदूर पूर्व में, ब्रिटेन की सेना को है। अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आह्वान के फलस्वरूप 1971 में विश्व कप की शुरुआत हुई। हॉकी की अन्य मुख्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हैं- ओलम्पिक, एशियन कप, एशियाई खेल, यूरोपियन कप और पैन-अमेरिकी खेल। दुनिया में हॉकी निम्न प्रकार से खेली जाती है।




हॉकी खेल का उद्गम सदा से ही विवाद का विषय रहा है। एक मत के अनुसार ईसा से दो हजार वर्ष पूर्व हॉकी का खेल फारस में खेला जाता था। यह खेल आधुनिक हॉकी से भिन्न था। कुछ समय बाद यह खेल कुछ परिवर्तित होकर यूनान (वर्तमान ग्रीस) पहुंचा जहां यह इतना प्रचलित हुआ कि यह यूनान की ओलंपिक प्रतियोगिता में खेला जाने लगा। धीरे-धीरे रोमवासियों में भी इस खेल के प्रति रुझान बढ़ा और रोम भी यूनान के ओलंपिक में इसे खेलने लगा। हॉकी की शुरुआत आरंभिक सभ्यताओं के युग से मानी जाती है। हॉकी खेलने के अरबी, यहूदी, फ़ारसी और रोमन तरीक़े रहे और दक्षिण अमेरिका के एज़टेक इंडियनों द्वारा छड़ी से खेले जाने वाले एक खेल के प्रमाण भी मिलते हैं। आरंभिक खेलों हर्लिंग और शिंटी जैसे खेलों के रूप में भी हॉकी को पहचाना गया है। मध्य काल में छड़ी से खेला जाने वाला एक फ़्रांसीसी खेल हॉकी प्रचलित था और अंग्रेज़ी शब्द की उत्पत्ति शायद इसी से हुई है।

19वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में भारत में इस खेल के विस्तार का श्रेय मुख्य रूप से ब्रिटिश सेना को जाता है और एक स्वाभाविक परिणाम के रूप में यह खेल छावनी नगरों व उसके आसपास तथा युद्धप्रिय समझे जाने वाले लोगों और सैनिकों के बीच फला-फूला हैं।

सैनिक छावनियों वाले सभी नगर, जैसे लाहौर, जालंधर, लखनऊ, झांसी, जबलपुर भारतीय हॉकी के गढ़ थे। मगर इस खेल को विभाजन-पूर्व भारत की कृषि प्रधान भूमि के मेहनती और बलिष्ठ पंजाबियों ने स्वाभाविक रूप से सीखा।

अंग्रेज़ी विद्यालयों में हॉकी खेलना 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में शुरू हुआ और दक्षिण-पूर्वी लंदन के ब्लैकहीथ में पुरुषों के पहले हॉकी क्लब का विवरण 1861 की एक विवरण-पुस्तिका में मिलता है। पुरुषों की मैदानी हॉकी को 1908 और 1920 में ओलम्पिक खेलों में खेला गया और 1928 से इसे स्थायी तौर पर ओलम्पिक में शामिल कर लिया गया।

आधुनिक युग में पहली बार ओलंपिक में हॉकी २९ अक्टूबर, १९०८ में लंदन में खेली गई। इसमें छह टीमें थीं। १९२४ में ओलपिंक में अंतर्राष्ट्रीय कारणों से यह खेल शामिल नहीं हो सका। ओलंपिक से हॉकी के बाहर हो जाने के बाद जनवरी, १८८४ में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन) की स्थापना हुई। हॉकी का खेल एशिया में भारत में सबसे पहले खेला गया। पहले दो एशियाई खेलों में भारत को खेलने का अवसर नहीं मिल सका, किन्तु तीसरे एशियाई खेलों में भारत को पहली बार ये अवसर हाथ लगा। हॉकी में भारत का प्रदर्शन काफ़ी अच्छा रहा है।[1] भारत ने हॉकी में अब तक ओलंपिक में आठ स्वर्ण, एक और दो कांस्य पदक जीते हैं। स्वतंत्र भारत ने इसे अपना राष्ट्रीय खेल भी घोषित किया है। इसके बाद भारत ने हॉकी में अगला स्वर्ण पदक १९६४ और अंतिम स्वर्ण पदक १९८० में जीता। १९२८ में एम्सटर्डम में हुए ओलंपिक में भारत ने नीदरलैंड को ३-० से हराकर पहला स्वर्ण पदक जीता था। १९३६ के खेलों में जर्मनी को ८-१ से मात देकर विश्व में अपनी खेल क्षमता सिद्ध की। १९२८, १९३२ और १९३६ के तीनों मुकाबलों में भारतीय टीम का नेतृत्व हॉकी के जादूगर नाम से प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद ने किया। १९३२ के ओलपिंक में हुए ३७ मैचों में भारत द्वारा किए गए ३३० गोल में ध्यानचंद ने अकेले १३३ गोल किए थे।

दुनिया में अन्य खेल भी हॉकी से जन्मे हैं।




please select brainlist ......
Similar questions