भरपेट।
(4) कृति पूर्ण कीजिए :
पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग नरक ता हेत।
पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग नरक ता हेत।
| अलंकार का प्रकार -
अलंकार का उपप्रकार -
Answers
पराधीन जो जन, नही स्वर्ग-नरक ता हेतु।
पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग नरक ता हेतु।।
इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार की प्रतीति होती है।
मुख्य अलंकार अनुप्रास अलंकार है, और उप-अलंकार लाटानुप्रास अलंकार है।
Explanation:
अनुप्रास अलंकार में किसी वर्ण या वर्णों के समूह की दो या दो से अधिक बार आवृत्ति हो तो वहां अनुप्रास अलंकार प्रकट होता है। अतः यहां पर मुख्य अलंकार अनुप्रास अलंकार होगा और अनुप्रास अलंकार का उप अलंकार लाटानुप्रास अलंकार होगा। लाटा अनुप्रास अलंकार में किसी वाक्य की पुनरावृति हो लेकिन दूसरे वाक्य का अर्थ थोड़ा भिन्न हो हो तो वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है। उपरोक्त पंक्तियों में पहली पंक्ति का अर्थ है है कि पराधीन व्यक्ति का स्वर्ग भी नरक के समान होता है जबकि दूसरी पंक्ति का अर्थ है जो व्यक्ति पराधीन नहीं है उसके लिए नर्क भी स्वर्ग के समान है।