Hindi, asked by devsharma55, 1 year ago

bharat ka pehla samachar konsa he

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Answered by Vaibhav980
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भारत में पहला न्यूज़ पेपर कब और कहां प्रकाशित हुआ था ?

Friday, 15 Dec, 8.11 am

आज की तारीख में लगभग सभी घरों में न्यूज पेपर आते हैं. भारत में न्यूज पेपर भारत की आजादी से पहले से प्रकाशित होते आ रहे हैं. भारत में पहले न्यूज पेपर के प्रकाशित होने के इतिहास के बारे में जानिये

न्यूज पेपर का मुख्य उद्देश्य समाज को सूचना, शिक्षा और मनोरंजन प्रदान करना है. न्यूज पेपर की समाज में भूमिका के बारे में इसे वाच डॉग के रूप में माना जाता है.

पहला भारतीय न्यूज पेपर

भारत का पहला न्यूज पेपर आजादी से पहले ही प्रकाशित हो चुका था. भारत की आजादी में न्यूज पेपरों का अहम योगदान था. आजादी के पहले के न्यूज पेपरों के समय को सख्त सरकारी नियंत्रण और सेंसरशिप के लिए जाना जाता था.

अगर कोई अखबार ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कोई खबर लिखता या छापता था तो उसके प्रकाशक को सख्त सजा दी जाती थी.



पहला भारतीय न्यूज पेपर 29 जनवरी साल 1780 को जेम्स ऑगस्ट हिक्की द्वारा प्रकाशित किया गया था.

. पहले भारतीय न्यूज पेपर का नाम कलकत्ता जनरल एडवाइजर या हिक्की गैजेट था.

नवंबर साल 1780 में मेसियर बी मेस्नैक और पीटर रीड ने इंडियन गैजेट के नाम से न्यूज पेपर प्रकाशित किया था.

भारत की आजादी से पहले के न्यूज पेपर और साप्ताहिक पत्रिकाओं के नाम

साल 1784 में कलकत्ता गैजेट

साल 1785 में बंगाल जर्नल

साल 1785 में मद्रास से प्रकाशित मद्रास कूरियर. यह अंग्रेजी भाषा का न्यूज पेपर था. रिचर्ड जॉनसन इसके प्रकाशक थे.

साल 1789 में बॉम्बे हेराल्ड

साल 1790 में बॉम्बे कूरियर

साल 1791 में बॉम्बे गैजेट

साल 1795 में मद्रास गैजेट जिसके प्रकाशक आर विलियम थे.

साल 1795 में हम्फ्री के द्वारा प्रकाशित इंडियन हेराल्ड

साल 1811 में कलकत्ता से कलकत्ता क्रॉनिकल. इसके संपादक जेम्स बकिंघम.



18वीं सदी के न्यूज पेपरों के समय को न्यूज पेपरों का स्वर्ण युग कहा जाता है.

साल 1822 में राजा राम मोहन राय ने संवाद कौमुदी की शुरुआत की.

साल 1822 में राजा राम मोहन राय ने फारसी अखबार मिराट-उल-अकबर की शुरुआत की.

साल 1822 में बॉम्बे समाचार की शुरुआत की गई.

साल 1826 में पहला हिंदी अखबार उद्दंड मार्तण्ड की शुरुआत की गई.

3 नवंबर साल 1838 को बॉम्बे टाइम्स की शुरुआत की गई. यहीं बॉम्बे टाइम्स आगे चलकर '' में परिवर्तित हुआ.

साल 1857 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय और ब्रिटिश स्वामित्व वाले अखबारों को विभाजित कर दिया.

साल 1857 को भारत में पत्रकारिता के उत्थान के साल के रूप में माना जाता है.

साल साल 1861 में टाइम्स ऑफ इण्डिया का पहला संस्करण रॉबर्ट नाइट के द्वारा प्रकाशित किया गया था.

साल 1868 में बंगाल के दो भाईयों शिशिर कुमार घोष और मोती लाल घोष ने अमृत बाजार पत्रिका की शुरुआत की.

साल 1875 में बंगाल में भारतीय स्टेट्समैन की शुरुआत की गई. इसका नाम बाद में बदलकर स्टेट्समैन कर दिया गया.

साल 1876 में भारतीय अखबारों पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पास किया.

साल 1878 में वर्तमान के अंग्रेजी भाषा के प्रतिष्ठित अखबार द हिन्दू की शुरुआत की गई. यह अखबार तमिलनाडु और केरल से प्रकाशित होता था.

साल 1881 में लोकमान्य तिलक ने मराठी भाषा में केसरी और अंग्रेजी में मराठा नामक अखबार की शुरुआत की.

साल 1919 में महात्मा गांधी के द्वारा यंग इंडिया और नवजीवन की शुरुआत की गई. यह साप्ताहिक समाचार पत्र था.

साल 1927 में भारतीय उद्योगपति जी डी बिरला ने हिंदुस्तान टाइम्स और उसी साल मुंबई में एस सदानंद ने गरीबों के लिए फ्री प्रेस जनरल की शुरुआत की.

साल 1931 में भारतीय प्रेस अधिनियम पारित किया गया.

साल 1933 में महात्मा गांधी ने हरिजन नामक पत्रिका की शुरुआत की.

साल 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड नामक समाचार पत्र की शुरुआत की.

आजादी के बाद

आजादी के बाद भारतीय समाचार पत्र और पत्रिकाओं में अनेकों बदलाव हुए. अधिकांश अखबार भारतीय संपादकों के हाथों में आ गये. समाचार एजेंसियों के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए भारतीय प्रेस ट्रस्ट की शुरुआत की गई.

आजादी के बाद प्रमुख प्रेस एक्ट

साल 1951 में प्रेस आक्षेपण विषय वस्तु अधिनियम (The Press Objectionable Matter Act)

साल 1956 में अखबार मूल्य और पृष्ठ अधिनियम (The Newspaper Price and Page Act)

अखबार एक उद्योग

साल 1970 के दशकों के आने तक भारतीय अखबारों ने उद्योगों का स्थान ग्रहण कर लिया था. वर्तमान में भारतीय अखबार उद्योग दुनिया का सबसे बड़ा अखबार उद्योग माना जाता है.

आपातकाल में न्यूज पेपर

साल 1975 से 1977 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था. आपातकाल के दौरान न्यूजपेपरों पर पूरी तरह से नियंत्रण करने का प्रयास किया गया था.

कोई भी खबर बिना सरकार की अनुमति के नहीं छापी जा सकती थी. अखबार के इस दमनकारी दौर के गुजरने के बाद भारतीय अखबारों की स्थितियां सुधरी और अब यह चरम पर पहुँच गई हैं.

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