bharat ka rituo ka upar doha
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भारत देश पर प्रकृति माता की अपार कृपा है। यहाँ बारह महीनों में छः ऋतुओं से हम परिचित होते हैं। कर्मशील ये ऋतुएँ अलग सा अनुभव प्रदान कर हमारे जीवन को रसमय बनाती हैं। संस्कृत के कवि सम्राट कालिदास ने अपनी गीतिकाव्य 'ऋतु संहार' में इन ऋतुओं का सजीव चित्रण किया है।
मधुमास या वसंत ऋतु सभी ऋतुओं का राजा है। चैत्र वैशाक का यह महीना, मनमोहक वसंत ऋतु सब का प्रिय ऋतु है। पतझड़ के पश्चात पेड़ों में हरियाली पुनः छा जाती है। रंगीन फूलों की हल्की सुगंध से भूषित मन्द हवा जब तन का स्पर्श करे तब साधु भी विचलित हो उठे। अमराइयों की डालियों में बैठ कुहूँ कुहूँ करता मद मस्त कोयल अनायास ही सबको आकर्षित करता है। होली त्योहार और वसंत पंचमी इस मौसम के विशेष पर्व है।
ज्येष्ठ आषाढ़ का महीना ग्रीष्म ऋतु के आगमन का सूचक है। इस महीने में सूरज अपना प्रचण्ड रूप दिखाता है। गर्मी बहुत अधिक होती है। लू नामक गरम हवा चलती है।असह्य गर्मी से कभी त्वचा रोग फैलता है। गर्मी में प्यास ज्यादा और भूख कम लगती है। इस मौसम में कई फूल खिलतें हैं। सूर्य की तीव्र आक्रमण से राहत वर्षा ऋतु में मिलती है।
श्रावण भाद्रपद में वर्षा ऋतु अपनी निराली छवि दिखाती है। आकाश काले घने बादलों से घिर जाता है। छम छम करती बारिश की बूंदें सूखी धरती को पुलकित कर देतीं हैं। वन उद्यान हरे भरे लगते हैं। कृषि वर्ग अपने लहलहाते खेतों को देखकर आनंद में लीन हो जाते हैं। मयूर अपने सौन्दर्य का पूरा प्रदर्शन करता है। अर्ध आकार में अपने पंख फैलाए नाचता है मानो एकमात्र वही वर्षा ऋतु का स्वागत कर रहा हो। मैण्ढक टरराने लगते है ।वर्षा काल अभिनंदनीय होता है।
शरद् ऋतु आश्विन् कार्तिक के महीनों में
अपने स्वच्छ निर्मल रूप से प्रवेश करता है। शरद्कालीन आकाश बिलकुल साफ़ दिखता है। सर सरोवर कमल कुमुदिनी से भर जाते हैं। टिम टिमाते तारे तथा उज्जवल चाँद रात्रि को प्रकाशित कर देते हैं। शरद ऋतु की उपमा साहित्यकार अपने रचनाओं में बहुधा देते है। दशहरा और दीपावली इस ऋतु के प्रमुख त्योहार हैं। शरद ऋतु का मौसम अधिक सुखदायक होता है।
मार्गशीर्ष से पौष तक हेमंत ऋतु का आधिक्य रहता है। आयुर्वेद इस ऋतु को स्वस्थ ऋतु मानता है। हेमंत में पाचन शक्ति बढ़ती है। शरीर चुस्त मन उत्साहित रहता है। काम करने में थकावट का आभास नही होता। हेमंत की शीतलता मंद व सुहावनी होती है। घूम फिरने के लिए यह मौसम बहुत अनुकूल परिस्थिति प्रदान करता है। धीरे से शिशिर का संकेत कर हेमंत अपने अगले अध्याय की प्रतीक्षा में लुप्त हो जाता है।
ऋतुओं में अंतिम ऋतु माघ फाल्गुण में पड़ने वाला शिशिर ऋतु है। शीत ऋतु अपने मिश्रित गुणों के कारण वन्दनीय है और अवन्दनीय भी। शिशिर ऋतु में खाद्य पदार्थ अपर्याप्त मात्रा में मिलता है। अधिकतर देह रोग मुक्त रहता है। शीत ऋतु में दिन छोटे व रात लंबी होती है।
शीत वायु कभी असहनीय हो जाती है । लोग ठंड से ठिठुरने लगते हैं। गरमाहट हेतु आग सेंकते है। त्वचा शुष्क हो जाता है।अतः तिल तथा सरसों का तेल अनिवार्य माना जाता है। उष्णदायक पदार्थों का सेवन अच्छा लगता है। क्रिस्मस इस मौसम का विशिष्ट त्योहार है। शिशिर अपने अंतिम चरण में संक्रान्ति पर्व के साथ उत्तरायण में विलीन पुनः अपनी आगमन की प्रतीक्षा में सो जाता है।
वस्तुतः ये ऋतुएँ हमें अपनी अनोखी रूप रेखा से जीवन की उतार चढ़ा
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