Hindi, asked by satyam2330, 1 year ago

Bharat ke rajyo ke lok geet

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Answered by raman7351
5

बालक-बालिकाओं के जन्मोत्सव, मुण्डन, पूजन, जनेऊ, विवाह, आदि अवसरों पर गाये जाने वाले संस्कार गीत हैं - सोहर, खेलौनो, कोहबर, समुझ बनी, आदि।

गाथा-गीत/ लोकगाथा

विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित विविध लोकगाथाओं पर आधारित इन गाथा-गीतों को निम्न श्रेणियों में श्रेणीबद्ध किया जा सकता है -


आल्हा-


ढोला-


भरथरी -


नरसी भगत-


घन्नइया-


लोरिकायन - वीर रस से परिपूर्ण इस लोकगाथा में गायक लोरिक के जीवन-प्रसंगों का जिस भाव से वर्णन करता है, वह देखते-सुनते ही बनता है।


नयका बंजारा - विभिन्न क्षेत्रों में गाये जाने वाले लोक गीतों में प्रायः विषय-वस्तु तो एक ही होती है, किन्तु स्थान, पात्र तथा चरित्रों में विविघता के दर्शन होते हैं।


विजमैल - राजा विजयमल की वीरता का बखान करने वाली इस लोकगाथा में बढ़ा-चढ़ाकर प्रचलित गाथा का वर्णन किया जाता है।


सलहेस - एक लोककथा के अनुसार, सलहेस, दौना नामक एक मालिन का प्रेमी था। उसके एक शत्रु ने ईर्ष्यावश सलहेस को चोरी के झूठे आरोप में बन्द बनवा दिया। दौना मालिन ने अपने प्रेमी सलहेस को किस प्रकार मुक्त कराया। बस इसी प्रकरण को इस लोक-गीत में भाव-विभोर होकर गया जाता है।


दीना भदरी - इस लोक-गीत में दीना तथा भदरी नामक दो भाइयों के वीरता का वर्णन मार्मिकता से गाया जाता है। इसके साथ ही राज्य के विभिन्न अंचलों में आल्हा-उफदल, राजा ढोलन सिंह, छतरी चौहान, नूनाचार, लुकेसरी देवी, कालिदास, मनसाराम, छेछनमल, लाल महाराज, गरबी दयाल सिंह, मीरायन, हिरनी-बिरनी, कुंअर बृजभार, राजा विक्रमादित्य, बिहुला, गोपीचन्द, अमर सिंह, बरिया, राजा हरिश्चन्द्र, कारू खिर हैर, मैनावती आदि के जीवन एवं उनकी वीरता भरी गाथाओं को राज्य के गाथा-गीतों के रूप में गाया जाता है।


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satyam2330: no, actually i want the list
Answered by coolthakursaini36
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उत्तर-> भारत के हर राज्य के अपने अपने लोक गीत हैं जैसे भोजपुरी भोजपुरी में विदेशिया का अत्यधिक प्रचार हुआ है गाने वालों के अनेक समूह इन्हें गाते हुए देहात में फिरते हैं।

पहाड़ियों के अपने-अपने गीत हैं इनमें मुख्य रूप से गढ़वा किन्नौर कांगड़ा आदि के अपने-अपने गीत और उन्हें गाने की अपनी-अपनी विधियां हैं।

चैता, कजरी, बारहमासा साबुन आदि उत्तर प्रदेश, बाउल और भातियाली बंगाल के, पंजाब में माहिया तथा राजस्थानी में ढोला मारू आदि गीत बड़े चाव से गाए जाते हैं।

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