English, asked by shreyameshram35, 8 days ago

Bharat ke sampark bhasha Hindi hai is per nibandh bataiye​

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Answered by ranjeetdeep2
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आज हिंदी का इन्टरनेट पर निरंतर विकास हो रहा हैं. गूगल ने भी हिंदी में टाइपिंग के लिए ऐसे टूल विकसित किए हैं. जिनसे अंग्रेजी में टाइप करने पर स्वतः हिंदी के वर्ण आ जाते हैं.

हिंदी के विकास में इसका अहम योगदान रहा हैं. जिसकी बदौलत आज इन्टरनेट के युग में हम विभिन्न वेबसाइटों पर हिंदी में कंटेट पढने को मिल रहे हैं.

भारत के बहुत से दक्षिणी एवं पूर्वी राज्यों में आज हिंदी को समझा जाने लगा हैं. भले ही कहने को हम गर्व करते है कि हमारी मातृभाषा हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा हैं.

मगर हम इसका अपमान स्वयं करते हैं. पहली क्लाश में एडमिशन लेने वाले बच्चे को यस सर और मे आई कम इन सर जैसे अंग्रेजी शब्दों के साथ लाते है. जिसका मतलब स्वयं उस बालक को भी पता नही होता हैं.

 

हम भी अपनी बोलचाल की भाषा में अंग्रेजी के शब्दों को बोलना गर्व की बात समझते है. हमें कब समझ आएगा. एक गुलामी की प्रतीक अंग्रेजी भाषा को टूटी फूटी बोलकर हम कब तक उन्हें अपमानित करते रहेगे.

क्या दोष है हमारी हिंदी में जो हम अंग्रेजी के दीवाने होते जा रहे हैं. सबसे बड़ी प्रशासनिक नौकरियों में आज भी हिंदी माध्यम की सरकारी स्कूलों में पढ़े बच्चें आगे आ रहे हैं.

हमारी न्याय व्यवस्था हो या सरकारी सिस्टम इन्होने भी हिंदी भाषा का बढ़ चढकर अपमान किया हैं. आज भी हमारे लोगों की यह मानसिकता बनी हुई है कि दो चार अंग्रेजी की स्पेलिंग, ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार कविता और अंग्रेजी वर्णमाला क्या सीख लेते पूरे मोहल्ले में ढिढोरा पीटने लग जाते हैं.

16 वीं एवं 17 वीं सदी का युग जब भारत में पुनर्जागरण एवं सुधारवाद का काल ऐसा था. जब भारत के उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम चारों दिशाओं में Hindi Bhasha को बोला जाता था.

बस लार्ड मेकाले की बदनीयती ने भारत पर अंग्रेजी थोपने की तमन्ना ने भारत की सांस्कृतिक एकता को ही ध्वस्त नही किया बल्कि आज की युवा पीढ़ी को अंग्रेजी के गुलाम बनाकर रख दिया.

आज भी हमारे शासन की भाषा का माध्यम अंग्रेजी बनी बैठी हैं. हिंदी कुछ ही मातृभाषा प्रेमियों, कवियों एवं साहित्यकारों तक सिमट कर रह गई हैं. हिंदी की दुर्दशा के लिए जितने जिम्मेदार अन्य कारक है उससे कही अधिक फिल्म जगत ने हिंदी को अपमानित करने में कोई कसर नही छोड़ी हैं.

हिंदी भाषा की फिल्म बनाने वाले अभिनेता सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी में ही इन्टरव्यू देते नजर आएगे. उन्हें यह एहसास नही है हम जिसकी वजह से आज स्टार बने है वह हिंदी ही हैं. मगर खुद को साना दिखाने के लिए वो अंग्रेजी बोलते है.

उनके लाखों अंध भक्त उनकों फॉलो करते हैं. हिंदी दिवस के अवसर पर हमें स्वयं जागना होगा तथा हिंदी का अपमान करने वालों को सबक सिखाना होगा. तभी इस देश की राष्ट्र भाषा के पद पर हिंदी भाषा स्थापित हो सकेगी.

 

हमारे युवा वर्ग को चाहिए कि वो अपनी मातृभाषा हिंदी के महत्व को समझे, अपने ह्रदय में इसे सजोकर रखे और इसकी दुर्दशा होने से केवल हम और आप ही बचा सकते हैं. आज जरुरी नही उच्च पदों के लिए हमें हिंदी को छोड़ना पड़ेगा.

यदि ऐसा किसी नौकरी के लिए करना भी पड़े तो हमें हिंदी से दूरी बनाने की बजाय इसे अपनी भाषा ही बनाकर रखना चाहिए. जब भारत के प्रधानमन्त्री हिंदी से ही विश्व भर में अपना काम चला सकते हैं. फिर हम क्यों नही.

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