English, asked by kamleskashyap0912200, 1 year ago

Bharat ki bhashaoo ke baare mein likho

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Answered by prakhar70065
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भारत में भाषा विविधता का संरक्षण

भारत दुनिया के उन अनूठे देशों में से एक है जहां भाषाओं में विविधता की विरासत है। भारत के संविधान ने 22 आधिकारिक भाषाओं को मान्यता दी है। बहुभाषावाद भारत में जीवन का मार्ग है क्योंकि देश के विभिन्न भागों में लोग अपने जन्म से ही एक से अधिक भाषा बोलते हैं और अपने जीवनकाल के दौरान अतिरिक्त भाषाओं को सीखते हैं। - हालांकि आधिकारिक तौर पर यहाँ 122 भाषाएं हैं, भारत के लोगों के भाषाई सर्वेक्षण में 780 भाषाओं की पहचान की गई है, जिनमें से 50 पिछले पांच दशकों में विलुप्त हो चुकी हैं।

संविधान की अनुसूची में शामिल भाषाएँ

संविधान के द्वारा मान्यता प्राप्त बाईस भाषाओं में असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिन्दी, कश्मीरी, कन्नड़, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू और उर्दू को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है।

विशेष दर्जा प्राप्त भाषाएँ

इनमें से तीनों भाषाओं संस्कृत, तमिल और कन्नड़ को भारत सरकार द्वारा विशेष दर्जा और श्रेष्ठ प्राचीन भाषा के रूप में मान्यता दी गई है। इन श्रेष्ठ प्राचीन भाषाओं का 1000 वर्ष से अधिक का लिखित और मौखिक इतिहास है। इन की तुलना में, अंग्रेजी काफी नवोदित है क्योंकि इसका मात्र 300 साल का इतिहास है।

अन्य भाषाएँ

इन अधिसूचित और प्राचीन भाषाओं के अलावा, भारत के संविधान में अल्पसंख्यक भाषाओं के संरक्षण के लिए मौलिक अधिकार के रूप में एक अनुच्छेद को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि "भारत के किसी भी क्षेत्र और किसी भी भाग में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग की विशिष्ट भाषा, लिपि या अपनी स्वयं की संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार होगा।".

भारत की भाषा नीति और इतिहास

औपनिवेशिक शासन के दौरान, पहली बार जॉर्ज ए ग्रियरसन द्वारा 1894 से 1928 के दौरान भाषाई सर्वेक्षण कराया गया था जिसमें 179 भाषाओं और 544 बोलियों की पहचान की गई थी। प्रशिक्षित भाषाविदों कर्मियों की कमी के कारण इस सर्वेक्षण में कई खामियां भी थीं।

भारत की भाषा नीति भाषाई अल्पसंख्यकों की रक्षा की गारंटी प्रदान करती है। संविधान के प्रावधान के तहत अल्पसंख्यक समूहों द्वारा बोली जाने वाली भाषा के हितों की रक्षा की एकमात्र जिम्मेदारियों के लिए भाषाई अल्पसंख्यक समुदाय हेतु विशेष अधिकारी की नियुक्ति की जाती है।

स्वतंत्रता के बाद, मैसूर स्थित केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल) को सूक्षमता के साथ भाषाओं के सर्वेक्षण का कार्य सौंपा गया था। हालांकि यह कार्य अभी भी अधूरा है।

1991 में भारत की जनगणना में 'अलग व्याकरण की संरचना के साथ 1576 सूचीबद्ध मातृभाषाएँ और 1796 भाषिक विविधता को अन्य मातृभाषाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

भारत की एक और अनूठी विशेषता अपनी मातृभाषा में ही बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चों के हितों की रक्षा करने की अवधारणा है। इसके लिए संविधान में भाषाई अल्पसंख्यक समूहों के बच्चों के लिए प्राथमिक स्तर पर शिक्षा प्रदान करने के लिए मातृभाषा में शिक्षण की पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करने के लिए हर राज्य और राज्य के भीतर प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी अधिकारी के द्वारा इसका प्रयास किये जाने का प्रावधान किया गया है। -

इस प्रकार, संयुक्त राष्ट्र के द्वारा (21 फरवरी) को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित करने से पूर्व ही भारतीय संविधान के संस्थापकों ने मातृभाषाओं में शिक्षण से बच्चे को अपनी पूरी क्षमता के साथ सक्षम बनाने और विकसित करने को शीर्ष प्राथमिकता दी हैं।

यह अवधारणा संयुक्त राष्ट्र के विश्व मातृभाषा दिवस 2017 के विषय के साथ पूरी तरह से साम्यता रखती है जिसके अंतर्गत शिक्षा, प्रशासनिक व्यवस्था, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और साइबर स्पेस में स्वीकार किये जाने के लिए बहुभाषी शिक्षा की क्षमता विकसित करना आवश्यक है।

1956 में भारत में राज्यों के पुनर्गठन में भाषाई सीमाओं का अपना महत्व था। तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भाषायी विशेषताओं के आधार पर राज्यों के गठन और एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भारत की भाषा नीति बहुलवादी रही है जिसमें प्रशासन, शिक्षा और जन संचार के अन्य क्षेत्रों में मातृभाषा के उपयोग को प्राथमिकता दी गई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के भाषा ब्यूरो का गठन भाषा नीति को लागू करने और इसपर नजर रखने के लिए किया गया है।

भारत सरकार ने डिजिटल भारत की अभिकल्पना के तहत जुलाई 2017 से बेचे जाने वाले सभी मोबाइल फोनों में भारतीय भाषाओं की सुविधा को अनिवार्य कर दिया है। इससे न सिर्फ डिजिटल अंतर को समाप्त किया जा सकेगा बल्कि भारत के ऐसे एक अरब लोग, जो अपनी भाषाओं में संपर्क करने में अंग्रेजी नहीं बोलते, को सशक्त बनाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त होगा। इससे बड़ी संख्या में लोगों के ई-गवर्नेंस और ई-कॉमर्स का हिस्सा बनने से क्षमता में वृद्धि भी होगी।

केंद्र सरकार के इन प्रयासों के बावजूद, अल्पसंख्यक भाषाएं बहुत से कारणों से अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में 7000 साल के इतिहास के साथ बो भाषा के अंतिम वक्ता की मृत्यु होने पर यह विलुप्त हो गई।

हाल के वर्षों में भाषा विविधता खतरे में है क्योंकि विविध भाषाओं के वक्ता दुर्लभ होते जा रहे हैं और अपनी मातृभाषाओं को छोड़ने के बाद वे प्रमुख भाषाओं को अपना रहे हैं। इस समस्या का समाधान सामाजिक स्तर पर किए जाने की आवश्यकता है जिसमें समुदायों को भाषा विविधता के संरक्षण में शामिल होना होगा जो हमारी सांस्कृतिक संपदा का एक अंग हैं।

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my hand started paining after writing this....

Answered by divyanshuuniyal50
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bharat ek unnatshil country hai. It has vast difference of language ,food etc yaha har 500 km pe bhasa badalti rehti hai par ek bhasha jo is desh ko joodi hui hai wo hai Hindi hamari matribhasa bharat ki bhasao ko samajna bahut muskil hai

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