Bharat Ki Shiksha vyavastha per basan vipaksh mein
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पिछले शनिवार को ईशा योग केंद्र में एक ‘शिक्षा में नवीनता’ विषय पर पहला सम्मेलन (कांफ्रेंस) आयोजित किया गया। इस सम्मेलन के पीछे बुनियादी सोच यह थी कि अपनी शिक्षण-पद्धति को या कहें जिस तरह से हम शिक्षा दे रहे हैं, उन तरीकों पर विचार किया जाए। किसी नई चीज को सीखना अपने आप में एक सुखद अहसास होता है, तो फिर स्कूल की पढ़ाई बच्चों के लिए इतनी तकलीफदेह क्यों होती है? जिन दिनों मैं स्कूल में था तो स्कूल जाने से बचने के लिए मैं हर संभव कोशिश करता था।
हमें स्कूलों का निर्माण इस तरह से करना चाहिए, जहां हर बच्चा जाना चाहे। इसके लिए हमें बच्चों से पहले बड़ों को शिक्षित करने की जरूरत है। बच्चे कुदरती तौर पर खुशमिजाज होते हैं और वे आबादी का ऐसा हिस्सा हैं, जिनके साथ काम करना सबसे आसान होता है। तो फिर सवाल है कि पढ़ाने के लिए माहौल को खुशनुमा बनाना एक मुश्किल काम क्यों हो जाता है? आज हमारे पास ऐसे कई वैज्ञानिक और चिकित्सकीय प्रमाण मौजदू हैं, जिनसे साबित होता है कि अगर आप एक खुशनुमा माहौल में होते हैं तो आपका शरीर व दिमाग सर्वश्रेष्ठ तरीके से काम करता है। अगर आप एक भी पल बिना उत्तेजना, चिड़चिड़ाहट, चिंता, बैचेनी या गुस्से के रहते हैं, अगर आप सहज रूप से खुश रहते हैं, तो कहा जाता है कि बुद्धि का इस्तेमाल करने की आपकी क्षमता एक ही दिन में सौ फीसदी बढ़ सकती है।
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इस सम्मेलन के पीछे बुनियादी सोच यह थी कि अपनी शिक्षण-पद्धति को या कहें जिस तरह से हम शिक्षा दे रहे हैं, उन तरीकों पर विचार किया जाए। किसी नई चीज को सीखना अपने आप में एक सुखद अहसास होता है, तो फिर स्कूल की पढ़ाई बच्चों के लिए इतनी तकलीफदेह क्यों होती है l