Bharat ki tulna mein tibbati mahilaon ki Samajik sthiti par Prakash daliye in Hindi
Answers
भारत की तुलना में तिब्बती महिलाओं की सामाजिक स्थिति बेहतर है।
भारत में अनेक जगहों पर आज भी पर्दा प्रथा प्रचलित है। महिलाओं को बड़े-बड़े घूंघट में रहना पड़ता है। देश के कई हिस्सों में आज भी महिलाओं को उतनी स्वतंत्रता नही है। उन्हें पुरुषों की इच्छानुसार चलना पड़ता है। बहुत जगह महिलाओं को काम करने की उतनी आजादी नही है जितनी अन्य जगह है। महिलाओं के वस्त्रों पर अनेक तरह की पाबंदियां हैं। बहुत से मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश ही वर्जित है।
तिब्बत में महिलाओं की सामाजिक स्थिति बेहतर थी, उन्हें पुरुषों के समान स्तर का समझा जाता था। महिलाओं को हर तरह की आजादी थी। परदा प्रथा या घूंघट प्रथा का प्रचलन तिब्बती महिलाओं में नही था। उनमें जात-पात या ऊँच-नीच का भेदभाव भी नही था। यदि कोई पुरुष मेहमान घर में आ जाये और घर में कोई पुरुष नही हो तो भी महिलायें पुरुष मेहमान का स्वागत सत्कार करती थीं। तिब्बती समाज में एक अजीब प्रथा थी जिसके तहत एक ही स्त्री के सारे भाई लोग पति होते थे।
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Explanation:
भारत की तुलना में तिब्बती महिलाओं की सामाजिक स्थिति बेहतर है।
भारत में अनेक जगहों पर आज भी पर्दा प्रथा प्रचलित है। महिलाओं को बड़े-बड़े घूंघट में रहना पड़ता है। देश के कई हिस्सों में आज भी महिलाओं को उतनी स्वतंत्रता नही है। उन्हें पुरुषों की इच्छानुसार चलना पड़ता है। बहुत जगह महिलाओं को काम करने की उतनी आजादी नही है जितनी अन्य जगह है। महिलाओं के वस्त्रों पर अनेक तरह की पाबंदियां हैं। बहुत से मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश ही वर्जित है।
तिब्बत में महिलाओं की सामाजिक स्थिति बेहतर थी, उन्हें पुरुषों के समान स्तर का समझा जाता था। महिलाओं को हर तरह की आजादी थी। परदा प्रथा या घूंघट प्रथा का प्रचलन तिब्बती महिलाओं में नही था। उनमें जात-पात या ऊँच-नीच का भेदभाव भी नही था। यदि कोई पुरुष मेहमान घर में आ जाये और घर में कोई पुरुष नही हो तो भी महिलायें पुरुष मेहमान का स्वागत सत्कार करती थीं। तिब्बती समाज में एक अजीब प्रथा थी जिसके तहत एक ही स्त्री के सारे भाई लोग पति होते थे।
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