Bharat ki vartman stithi par nibandh
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शायद यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज विश्व की स्थिति एक ऐसे जहाज की भांति हो गई है जिसका कोई सर्वमान्य कप्तान नहीं है अर्थात वह नेतृत्वविहीन हो चुका है। यह जहाज जगह जगह से जीर्ण-शीर्ण हो चुका है जिसकी न तो किसी को मरम्मत की चिंता है और न ही दिशा की। एक ओर तो यह अपनी वर्षों पुरानी समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ है और ऊपर से निरंतर नई समस्याओं का बोझ बढ़ता जा रहा है। आज कोई देश या नेता इतना सक्षम नहीं जो इन विपरीत परिस्थितियों में इस दिशाविहीन जहाज को अपना नेतृत्व दे सके।
जिन सक्षम देशों और उनके नेताओं की ओर विश्व का आम नागरिक आशा से देखता है उन पर हम पहले नज़र डालते हैं। इस सूचि में अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा सर्वप्रथम हैं। किन्तु वर्तमान में वे स्वयं अपने ही राष्ट्र को एक सक्षम नेतृत्व देने में असफल होते दिख रहे हैं। यूरोपीय संघ और रूस ने यूक्रेन को लेकर आपस में मोर्चा खोल रखा है। इस प्रकरण में रुसी राष्ट्रपति विश्व मंच पर अलग-थलग पड़ चुके हैं। चीन के दोस्त कम, दुश्मन ज्यादा हैं। जापान सहित हर पड़ोसी देश के साथ चीन के सीमा विवाद हैं अतः चीन के नेतृत्व में सर्वसम्मति का कोई प्रश्न नहीं। जापान ने अपने देश में आधिकारिक तौर पर मंदी की शुरुवात की घोषणा कर दी है। हालात की गंभीरता को देखते हुए जापान के राष्ट्रपति अबे ने अपने कार्यकाल पूरा होने के दो वर्ष पूर्व ही संसद भंग चुनावों की घोषणा कर दी है।