Bharat m konse prakar ke shashan pranali h
Answers
Answer:
democratic government
Answer:
संसदीय प्रणाली (Saṁsadīya Praṇālī ) लोकतान्त्रिक शासन की वह प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका अपनी लोकतान्त्रिक वैधता विधायिकता (संसद) से प्राप्त करती है तथा विधायिकता के प्रति उत्तरदायी होती है। इस प्रकार संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका परस्पर सम्बन्धित (जुड़े हुए) होते हैं।
भारत का संविधान न तो ब्रिटेन की संसद से पारित हुआ और न ही यह किसी धर्म संहिता पर आधारित है। भारत के लोगों के संकल्प की प्रतिनिधि संस्था ‘संप्रभु संविधान सभा’ ने संविधान का निर्माण किया है, जिसकी प्रस्तावना ने हमारी आगे की दिशा तय की। संविधान सभा में काफी सोच-विचार और बहस-मुबाहिसे के बाद शासन की संसदीय व्यवस्था चुनी गई। केंद्र व राज्य दोनों ही स्तर पर शासन की संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया। संविधान के अनुच्छेद 74 और 75 के अंतर्गत केंद्र में तथा अनुच्छेद 163 और 164 के अंतर्गत राज्यों में संसदीय प्रणाली की व्यवस्था की गई है।
भारत में शासन की संसदीय प्रणाली का चयन किया गया क्योंकि यह भारतीय संदर्भ में अधिक मुफीद और कारगर थी। इसका चयन करते समय हमारे संविधान निर्माताओं ने स्थायित्व की जगह जवाबदेही को महत्त्व दिया, परंतु वर्तमान में राजनीतिक दलों का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना रह गया है। विधायी सदनों का कामकाज काफी लंबे समय से घटा है। बहस की गुणवत्ता लगातार घटी है। राजस्थान विधानसभा इस तथ्य का ज्वलंत उदाहरण है। इन घटनाओं से कुछ विशेषज्ञों ने भारत में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया है।
इस आलेख में संसदीय शासन व्यवस्था तथा अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा।