Bharat ma pardha pratha kab shuru hui
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पौराणिक काल सतयुग से लेकर द्वापर में हुए महाभारत तक बालविवाह एवं पर्दाप्रथा का कोई उल्लेख एवं प्रमाण नहीं मिलता है |
पिछली कुछ सदियों से भारत में पर्दाप्रथा के साथ साथ बालविवाह सर्वव्यापी रहा अर्थात सभी जातियों में पर्दाप्रथा रही एवं बालविवाह का भी प्रचलन सभी जातियों में रहा |
बालविवाह ने तो सारी सीमाएं तोड़ रखीं थीं | बीसवीं सदी के अंत तक तथा इक्कीसवी सदी में भी पांच वर्ष के आसपास की कन्याओं के विवाह होते देखे गए हैं | परंतु शिक्षा के प्रसार के साथ साथ पहले महानगरों में फिर माध्यम व छोटे नगरों में तथा बाद में ग्रामीण क्षेत्रों में भी धीरे धीरे यह आयु सीमा बढ़ती गयी और वर्तमान में कुछ क्षेत्रों व तबकों को छोड़कर सभी वर्गों में में लड़कियां व लड़के वयस्क होने के पश्चात ही वैवाहिक जीवन में प्रवेश करते हैं |
"‘धर्मशास्त्र का इतिहास पुस्तक"’ में आगे पेज 337 पर पर्दा प्रथा के दो प्रमुख कारण बताये गये हैं-
हिंदू स्त्रियों को सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से। महिलाओं को सुरक्षा देना अब काफी जरूरी हो गया था. आये दिन महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा था.
मुस्लिम समाज की स्त्रियों में ये था, तो हमारे समाज ने भी खुलेपन को रोकने के लिए और अपनी महिलाओं को बुरी नजर से बचाने के लिए इसको लागू करवाया.
भारत में ईसा से 500 वर्ष पूर्व लिखे गये इतिहास में, पर्दा प्रथा का वर्णन नहीं मिलता है. तब अदालतों के अंदर स्त्रियों के आने जाने का उल्लेख मिलता है.
जब हमारी औरतें यहाँ उपस्थित होती थीं, तो वे यहाँ बिना किसी पर्दे के यहाँ आती थीं. महिलायें गाँव में भी, बिना चेहरा ढके काम करती थीं. महिला स्वतंत्रता का यहाँ पूरा-पूरा पालन मिलता है.
पुराने प्राचीन वेदों एवं धर्मग्रंथों में पर्दा प्रथा का कहीं भी विवरण नहीं मिलता है. हिंदुओं के पवित्र ग्रन्थ ऋग्वेद में लोगों को विवाह के समय, कन्या की ओर देखने को कहा गया है. इस समय भी महिला बिना पर्दे के रह सकती थी.
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बालविवाह ने तो सारी सीमाएं तोड़ रखीं थीं | बीसवीं सदी के अंत तक तथा इक्कीसवी सदी में भी पांच वर्ष के आसपास की कन्याओं के विवाह होते देखे गए हैं | परंतु शिक्षा के प्रसार के साथ साथ पहले महानगरों में फिर माध्यम व छोटे नगरों में तथा बाद में ग्रामीण क्षेत्रों में भी धीरे धीरे यह आयु सीमा बढ़ती गयी और वर्तमान में कुछ क्षेत्रों व तबकों को छोड़कर सभी वर्गों में में लड़कियां व लड़के वयस्क होने के पश्चात ही वैवाहिक जीवन में प्रवेश करते हैं |
"‘धर्मशास्त्र का इतिहास पुस्तक"’ में आगे पेज 337 पर पर्दा प्रथा के दो प्रमुख कारण बताये गये हैं-
हिंदू स्त्रियों को सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से। महिलाओं को सुरक्षा देना अब काफी जरूरी हो गया था. आये दिन महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा था.
मुस्लिम समाज की स्त्रियों में ये था, तो हमारे समाज ने भी खुलेपन को रोकने के लिए और अपनी महिलाओं को बुरी नजर से बचाने के लिए इसको लागू करवाया.
भारत में ईसा से 500 वर्ष पूर्व लिखे गये इतिहास में, पर्दा प्रथा का वर्णन नहीं मिलता है. तब अदालतों के अंदर स्त्रियों के आने जाने का उल्लेख मिलता है.
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