bharat mahima poem by jayshankar summary
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हिमालय का वर्णन है। जहां प उषा की पहली किरण का वर्णन है जो हंसकर सबका स्वागत करती है।
सुबह उठते ही हम सब नींद से जागते हैं और सभी को जगाते हैं। कमल पुष्प भी खिलता है।
सप्तसिंधु के सप्तसुर तारों को छेड़ते हुए अपने सुरों को बिखरते हैं।
दधिचि के त्याग का वर्णन है। किस तरह हमारी जाति का विकास हुआ है उसका वर्णन है।
पहले जो बलि प्रथा चलती थी धर्म के नाम पर उसको बंद कर दिया गया है। शांति और सुख का संदेश देने की बात कही गई है।
भारत भूमि ने कभी किसी से कुछ छिना नहीं। प्रकृति के चीजों का ही यहां उपयोग किया गया है।न कोई बाहर से यहां आया है। भारत है सबकी जन्मभूमि।
भारत में अतिथि है देवगण। जिनको हम सदियों से अपने संचय से करते हैं दान। हमारे वचन में सत्य झलकती है, हृदय में तेज होती है और प्रतिज्ञा में जोश होती है।
कवि अपने भारत के लिए जीने का संदेश देते हैं और अपना सबकुछ न्योछावर करते हैं।