Hindi, asked by rajeshtiwary7556, 10 months ago

Bharat Mata gramvasini sirsak kavita Ka bhavarth likhe

Answers

Answered by bhumikapatil0527
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Answer:

Explanation:भारत माता ग्रामवासिनी।

खेतों में फैला है श्यामल,

धूल भरा मैला सा आँचल,

गंगा यमुना में आँसू जल,

मिट्टी कि प्रतिमा उदासिनी।

दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन,

अधरों में चिर नीरव रोदन,

युग युग के तम से विषण्ण मन,

वह अपने घर में प्रवासिनी।

तीस कोटि संतान नग्न तन,

अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्त्र जन,

मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन,

नत मस्तक तरु तल निवासिनी।

स्वर्ण शस्य पर -पदतल लुंठित,

धरती सा सहिष्णु मन कुंठित,

क्रन्दन कंपित अधर मौन स्मित,

राहु ग्रसित शरदेन्दु हासिनी।

चिन्तित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित,

नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित,

आनन श्री छाया-शशि उपमित,

ज्ञान मूढ़ गीता प्रकाशिनी।

सफल आज उसका तप संयम,

पिला अहिंसा स्तन्य सुधोपम,

हरती जन मन भय, भव तम भ्रम,

जग जननी जीवन विकासिनी।

Answered by bhatiamona
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हिंदी के प्रसिद्ध कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ रचित कविता “भारतमाता ग्रामवासिनी” भारत और भारतवासियों की के जीवन का वर्णन किया है |

इस कविता में भारत के निवासी ग्राम में निवास करता है | उसे अपने ग्राम से बड़ा प्यार होता है |  वह मिट्टी से बहुत प्यार करते है | ग्रामीण लोगों के पास चाहे वस्त्र न हो , चाहे उनके पास पेट भरने के पास खाने के पास कुछ न हो , वह अपना जीवन अपने खेतों में अपना पूरा जीवन व्यतीत करते है | जमींदार लोग इन लोगों का शोषण करते है |

फिर भी वह अपने ग्राम और अपने खेतों से बेहद प्यार करते है | अपने परिवार का पालन-पोषण करते है |   कविता में भारत ने किसानों का वर्णन किया है |  

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