Sociology, asked by yk884322, 10 months ago

bharat me bebahik paddhati ko sankshep me varnan kare​

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Answered by Tanujrao01
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भारत में विवाह को एक संस्कार माना जाता है और इसे एक पवित्र बंधन मानकर एक विशेष महत्व दिया जाता है। पश्चिमी सभ्यता और भारतीय पद्धति के विवाह में बहुत बड़ा अंतर है। जहां पश्चिमी सभ्यता में विवाह को एक कॉन्ट्रैक्ट माना गया है वही भारतीय जीवन पद्धति में विवाह को एक संस्कार और कर्तव्य माना गया है। इसे जीवन भर का बंधन माना गया है।

भारत में प्राचीन काल में विवाह की अनेक पद्धतियां प्रचलित रही हैं, लेकिन वर्तमान समय में भारत में विवाह की केवल एक ही पद्धति प्रचलित है। प्राचीन काल में भारत में विवाह की प्रचलित पद्धतियां इस प्रकार रही हैं, जैसे ब्रह्मा विवाह, आर्श विवाह, प्रजापत्य विवाह, असुर विवाह, राक्षस विवाह।

प्राचीन समय में भारत में बड़े-बड़े राजा लोग अपनी कन्याओं के लिए स्वयंवर का आयोजन करते थे। इसमें कन्या अपनी मर्जी से अपने वर का चुनाव करती थी। लेकिन यह प्रथा केवल राजा तक सीमित थी। आम जनता का इससे कोई सरोकार नहीं था। वर्तमान समय में भारत में जो वैवाहिक पद्धति प्रचलित उसमें वर और वधु पक्ष के परिवार आपस में बातचीत कर अपनी संताना का विवाह तय करते हैं और फिर सात फेरे लेकर पारंपरिक रीति से विवाह किया जाता है।

भारत में धर्म की दृष्टि से विवाह के लिए अलग-अलग कानून हैं। हिंदू, सिक्ख, बौद्ध व जैन के लिये हिंदु विवाह अधिनियम लागू होता है, तो मुस्लिमों के लिये मुस्लिम विवाह अधिनियम लागू होता है।

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