Social Sciences, asked by sanjeevKumarRanjan, 9 months ago

bharat me koyle ka bitran ka barNan karte.​

Answers

Answered by hp05071972
1

please follow me for this

भारत में कोयला खनन (अंग्रेज़ी: Coal Mining) का प्रारंभ विलियम जोन्स (अंग्रेज़ी: William Jones) ने दामलिया (रानीगंज) के समीप सन्‌ १८१५ में किया। उस समय ईषाएँ (shafts) खोदी गई और उनसे कोयला निकाला गया। जोंस ने बेल पिट रीति (Bell Pit Method) से भी कोयले की कुछ खुदाई कराई थी।

ईषा खुदाई पर लागत कम होने के कारण और कोयले की माँग बढ़ने के साथ ईषाआओं द्वारा सँकरे कोयला स्तरों (narrow seams) का पर्याप्त विकास हुआ। १९वीं शताब्दी के मध्य में समझा जाता था कि अधिक सुरंगों से अधिक कोयला प्राप्त होगा। उन दिनों कोयले को धरातल तक लाने के लिये वे विधियाँ प्रयुक्त होती थीं जो कुएँ से जल खींचने में की जाती हैं, अर्थात्‌ इसमें बैल तथा मानव शक्ति का उपयोग किया जाता था। जब यातायात के साधन बढ़े और सँकरे स्तरों तक पहुँचना संभव हो सकता तब वहन प्रवणकों (Carrying out inclines) का विकास हुआ।

१८५५-५६ ई. में रेलें तथा नदियों में यातायात के साधन उपलब्ध हुए। कोयले की कुछ खानों तक पटरी भी बिछा दी गई तथा कलकत्ता के समीप विद्यावती (Bidyabatti) में ईस्ट इंडियन रेलवे पर कोयले का एक संग्रह केंद्र (coal depot) भी स्थापित किया गया। उस समय बंगाल में खनन कार्य सर्वाधिक वृद्धि पर था। फलत: सन्‌ १८६० में रानीगंज कोयला क्षेत्र से भारत के कुल उत्पादन का ८८% कोयला निकला। सन्‌ १९०० में रानीगंज क्षेत्र का उत्पादन घटकर २५.५ लाख टन हो गया जबकि भारत का कुल उत्पादन ६५.५ लाख टन था। सन्‌ १९०६ तक झरिया क्षेत्र (बिहार) का उत्पादन रानीगंज से बढ़ गया। द्रुत गति से कोयला उद्योग का विकास होने के फलस्वरूप १९१४ ई. में उत्पादन १६५ लाख टन तक पहुँच गया, जिसमें ९१.५ लाख टन झरिया और ५० लाख टन रानीगंज का उत्पादन सम्मिलित है।

Similar questions