Bharat me pramukh bhu-akratik chetra kon se hai vistar se likhiye
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भूवैज्ञानिक समय-मान (geologic time scale) कालानुक्रमिक मापन की एक प्रणाली है जो स्तरिकी (stratigraphy) को समय के साथ जोड़ती है। यह एक स्तरिक सारणी (stratigraphic table) है। भूवैज्ञानिक, जीवाश्मवैज्ञानिक तथा पृथ्वी का अध्ययन करने वाले अन्य वैज्ञानिक इसका प्रयोग धरती के सम्पूर्ण प्राकृतिक इतिहास में हुई सभी घटनाओं का समय अनुमान करने के लिये करते हैं। जिस प्रकार चट्टानो के अधिक पुराने स्तर नीचे होते हैं तथा नये स्तर उपर होते हैं, उसी प्रकार इस सारणी में पुराने काल और घटनाएँ नीचे हैं जबकि नवीन घटनाएँ उपर (पहले) दी जाती हैं। विकिरणमितीय प्रमाणों (radiometric evidence) से पता चलता है पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 अरब वर्ष है।[1][2]
यह घड़ी भूवैज्ञानिक काल के प्रमुख ईकाइयों के के साथ-साथ पृथ्वी के जन्म से लेकर आज तक की प्रमुख घटनाओं को भी दिखा रही है।
परिभाषिकी संपादित करें
भूवैज्ञानिक समय के सबसे बड़े खंडों को इओन (eon) कहते हैं।[3] यह शब्द यूनानी भाषा से लिया गया है और, क्योंकि संस्कृत और यूनानी दोनों हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की दो बहन भाषाएँ हैं, इसलिए इस शब्द का संस्कृत में एक सजातीय शब्द मिलता है, "आयु"।[4] पृथ्वी पर चार इओन निर्धारित करे गये हैं: हेडियन (Hadean), आर्कीअन (Archean), प्रोटेरोज़ोइक (Proterozoic) और दृश्यजीवी (फ़ैनेरोज़ोइक, Phanerozoic)। इनमें से पहली तीन इओनों को सामूहिक रूप से कैम्ब्रीयनपूर्व महाइओन (Precambrian supereon) कहा जाता है।
इओन को आगे महाकल्प (era) में विभाजित करा जाता है।
महाकल्प को कल्प (period) में विभाजित करा जाता है।
कल्प को युग (epoch) में विभाजित करा जाता है।
युग को काल (age) में विभाजित करा जाता है।