bharat me vilupt hone wali prajati pe vigyapan
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बाघ
जंगल के शक्तिशाली जानवरों में से एक बाघ पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हमारे देश भारत का यह राष्ट्रीय पशु है, लेकिन आज यह संकट में है। हालांकि इसके संरक्षण के लिए भारत के अलावा अन्य देशों की सरकारें भी प्रयासरत हैं, लेकिन पूरे विश्व में इसकी संख्या मात्र 3 से 4 हजार ही बची है। बाघ की नौ प्रजातियों में से तीन तो विलुप्त हो चुकी हैं। बाकी को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत के अलावा बाघ पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, कोरिया, अफगानिस्तान आदि में भी पाया जाता है। इसमें सुनने, देखने और सूंघने की गजब की क्षमता होती है। अपनी इन्हीं खूबियों की वजह से यह शिकार करता है। जंगल में अकेले रहना इसे काफी पसंद है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई और अवैध शिकार की वजह से बाघों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटी। भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर शुरू करके बाघों को संरक्षण देना शुरू किया है।
पोलर बीयर
पोलर बीयर ज्यादातर आर्कटिक सागर के आस-पास पाया जाता है। यह दिखने में काफी खूबसूरत होता है और इसे बर्फीले इलाकों में ही रहना पसंद है। पर आज पोलर बीयर काफी संकट में हैं। पूरे विश्व में कुछ हजार पोलर बीयर ही बचे हैं। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बर्फ काफी तेजी से पिघल रही है, जिससे इनके रहने की जगह में कमी आ रही है और दिन-प्रतिदिन इनकी संख्या घटती जा रही है।
गैंडा
भारी-भरकम जीव गैंडा को दरियाइ घोड़ा भी कहा जाता है। यह दुनिया के विशालतम जीवों में से एक है। इसका वजन चार सौ से छह सौ किलोग्राम तक होता है। लेकिन हम इंसानों द्वारा अवैध शिकार की वजह से इनका जीवन खतरे में है। सामान्यतया गैंडा अफ्रीका और साउथ एशिया में पाया जाता है। अपने देश भारत में पाया जाने वाला गैंडा एक सींग वाला होता है, जबकि अफ्रीका में दो सींग वाला गैंडा पाया जाता है। गैंडा की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाले सींग ही इसकी मृत्यु का कारण बनते हैं। दरअसल इसके सींग ब्लैक मार्केट में काफी महंगे मिलते हैं। यह सोने से भी महंगे होते हैं। इसके अलावा इनके सींगों का इस्तेमाल पारंपरिक दवाओं के निर्माण में भी किया जाता है। वियतनाम में सबसे ज्यादा इसके सींगों की अवैध खरीद-बिक्री होती है। गैंडों की प्रजाति में से एक जवन राइनो की संख्या मात्र 50 से 60 बची है।
पेंग्विन
धरती के खूबसूरत प्राणियों में से एक पेंग्विन काफी तेजी से खत्म हो रहे हैं। इन्हें पानी और बर्फीले इलाके में रहना काफी पसंद है। इनकी खासियत है कि ये जमीन और समुद्र दोनों जगहों पर रह सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बर्फ के पिघलने और मछलियों की लगातार कमी से पेंग्विन के रहने और खाने का संकट हो रहा है, जिससे इनकी संख्या घटती जा रही है।
कछुआ
कछुआ पृथ्वी पर सबसे ज्यादा जीने वाली प्रजातियों में से एक है। यह कई सौ साल तक जीवित रह सकता है। यह जमीन पर भी चलता है और पानी के अन्दर भी। लेकिन आज इसकी सख्या में काफी कमी आ गई है। दिन-प्रतिदिन इसकी संख्या घटती ही जा रही है। कछुआ की कई प्रमुख प्रजातियां धरती से विलुप्त हो गई हैं और इन दिनों लेदरबैक टर्टल और जियोमेट्रिक टॉरटॉयज नामक प्रजाति पर खतरे के बादल सबसे अधिक मंडरा रहे हैं। साउथ अफ्रीका में पाए जाने वाले जियोमेट्रिक टॉरटॉयज की संख्या मात्र दो से तीन हजार ही बची है।
इन पक्षियों पर भी मंडरा रहा खतरा...
गिद्ध
कुछ साल पहले तक काफी संख्या में गिद्ध (ईगल) देखे जाते थे, लेकिन आज ये तुम्हारे आसपास कम ही दिखते होंगे। यही हाल पूरी धरती का है। पिछले कुछेक दशक में गिद्धों की संख्या में बहुत तेजी से कमी आई है और आज यह संकटग्रस्त पक्षियों के वर्ग में सबसे ऊपरी पायदान पर पहुंच चुका है। अपने बड़े आकार और शवों व मांस को खाने के लिए मशहूर यह पक्षी झुंड में रहना पसंद करता है। इसकी चोंच काफी मजबूत होती है। पशुओं में दर्द निवारक दवा खाने के बाद होने वाली मौत और उनके शवों को खाने की वजह से गिद्धों की संख्या में काफी कमी आ गई है।
एराराइप मैनकीन
ब्राजील में पाई जाने वाली एराराइप मैनकीन धरती से विलुप्त होने वाले पक्षियों के वर्ग में है। पृथ्वी पर अब इसकी संख्या 50 से भी कम बची है। यह छोटी सी चिडिया दिखने में बेहद प्यारी और खूबसूरत होती है। नर चिडिया के सिर पर लाल रंग होता है, पेट सफेद और पंख काले रंग के होते हैं। इसकी आंखें भी लाल रंग की होती हैं, जबकि मादा चिडिया ऑलिव ग्रीन रंग की होती है। अपने खूबसूरत रंगों की वजह से ही यह काफी आकर्षक दिखती है और इसी वजह से इसका अत्यधिक शिकार हुआ।
गौरैया
घर-आंगन हर जगह फुदकने वाली प्यारी सी चिडिया गौरैया तेजी से दुर्लभ होती जा रही है। तुममें से अधिकांश बच्चों ने इसे अपने घर-आंगन में जरूर देखा होगा, क्योंकि यह प्यारी सी छोटी सी चिडिया घर-आंगन में रहना सबसे ज्यादा पसंद करती है। कुछ समय पहले तक यह विश्व में सबसे अधिक संख्या में पाई जाती थी, लेकिन आज इस पर भी विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। भारत के अलावा यह ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली जैसे कई देशों में पाई जाती है।