bharat mein gaon ka sankya aur mahatva an essay
Answers
गाँव की चौपाल का यह नीम बूढ़ा
पिता की भी याद से पहले खड़ा
सघन छाया में बिछी हैं खाट कितनी
इन जड़ों पर बैठकर हुआ नव-निर्माण
भारत विविधताओं का देश है, गाँवों की प्राकृतिक शोभा ईश्वर की देन है, नगरों की कृत्रिम शोभा मनुष्य की बुद्ध की उपज है। भारतवर्ष कृषि प्रधान देश है, भारतमाता ग्रामवासिनी है। भारत की 70% जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। गाँव का नाम सुनते ही मन में एक सुंदर-सी कल्पना जन्म लेने लगती है- संपूर्ण शांत वातावरण, चारों तरफ हरियाली, पारंपरिक वेश-भूषा, पक्षियों का चहचहाना आदि। ग्वालन के हाथों की चूडियों की खनक तथा हल आर बैल ले जाते हुए किसान बैलों के गले में बँधी घंटियों से मदहोश वातावरण। लेकिन आज के गाँव की स्थिति इसके विपरीत है। गाँव नरक का पर्याय बन चुके हैं। बरसात के कारण चारों तरफ कीचड, उनसे उत्पन्न बीमारियों आज गाँव का हाल सुनाती हैं। भोले-भाले बच्चों का अशिक्षित रह जाना, बनिए के ऋण के बोझ से दबा किसान जीवन के लिए भी संघर्ष करता दिखाई देता है। आज हमें गाँवों में आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सुधार करना खेती के नए तरीके सिखाना, किसानों को शिक्षित बनाना, औरतों को भी शिक्षित बनाना होगा। उनके स्वास्थ्य पर देना होगा। इन सबके लिए गाँवों में समाज सुधार के लिए स्वयंसेवी संगठनों की स्थापना करनी होगी। उनके ज को मनोरंजक बनाने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करना होगा। इन्हीं प्रयासों से गाँव का स्तर सुधारा। सकता है तथा तभी संपूर्ण देश उत्थान के पथ पर अग्रसर होगा।