भरतजी ने नाटय शास्त्र में कितने अध्याय संगीतमय है।
Answers
Answer:
नाटकों के संबंध में शास्त्रीय जानकारी को नाट्यशास्त्रकहते हैं। इस जानकारी का सबसे पुराना ग्रंथ भीनाट्यशास्त्र के नाम से जाना जाता है जिसके रचयिताभरत मुनि थे। भरत मुनि का जीवनकाल ४०० ईसापूर्व से १०० ई के मध्य किसी समय माना जाता है।
संगीत, नाटक और अभिनय के सम्पूर्ण ग्रंथ के रूप में भारतमुनि के नाट्य शास्त्र का आज भी बहुत सम्मान है। उनका मानना है कि नाट्य शास्त्र में केवल नाट्य रचना के नियमों का आकलन नहीं होता बल्कि अभिनेता, रंगमंच और प्रेक्षक इन तीनों तत्वों की पूर्ति के साधनों का विवेचन होता है। ३७ अध्यायों में भरतमुनि ने रंगमंच,अभिनेता, अभिनय, नृत्यगीतवाद्य, दर्शक, दशरूपकऔर रस निष्पत्ति से सम्बन्धित सभी तथ्यों का विवेचन किया है। भरत के नाट्य शास्त्र के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि नाटक की सफलता केवल लेखक की प्रतिभा पर आधारित नहीं होती बल्कि विभिन्न कलाओं और कलाकारों के सम्यक के सहयोग से ही होती है।[1]