Hindi, asked by mishra10krishna, 23 days ago

bharatmata par nibandh in hindi​

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Answered by sreyakumari179
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Explanation:

भारत को मातृदेवी के रूप में चित्रित करके उसे भारतमाता या 'भारतम्बा' कहा जाता है।भारतमाता को प्राय: केसरिया या नारंगी रंग की साड़ी पहने, हाथ में भगवा ध्वज लिये हुए चित्रित किया जाता है और उनकी सवारी शेर है।भारत में भारतमाता के बहुत से मन्दिर हैं।काशी का भारतमाता मन्दिर अत्यन्त प्रसिद्ध है जिसका उद्घाटन सन् 1936 में स्वयं महात्मा गांधीपिछले कुछ वक्त से 'भारत माता की जय' को लेकर काफी विवाद हुआ, कुछ लोगों ने इस पर भगवाकरण का आरोप लगाया तो कुछ लोगों ने इस पर राजनीतिक रोटियां सेंकने में जरा भी देर नहीं की लेकिन अगर इतिहास पर गौर फरमाएंगे तो सच्चाई इससे बहुत अलग है। 'भारत माता की जय' भारतीय स्वाधीनता संग्राम के समय सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला नारा था।भारत भूमि को जीवन का पालन करने वाली माता के रूप में रूपायित कर उसकी मुक्ति के लिए की गई कोशिशों में उसकी संतानों ने इस नारे का बार बार प्रयोग किया। भारत माता की वंदना करने वाली यह उक्ति हर उद्दघोष के साथ स्वाधीनता संग्राम के सिपाहियों में नए उत्साह का संचार करती थी। इसलिए आज भी इस नारे का प्रयोग राष्ट्रप्रेम या राष्ट्र निर्माण से जुड़े अवसरों, कार्यक्रमों एवं आंदोलनों में किया जाता है।

Answered by beejasanipatil3006
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Explanation:

भारत को मातृदेवी के रूप में चित्रित करके भारतमाता या 'भारतम्बा' कहा जाता है। भारतमाता को प्राय: केसरिया या नारंगी रंग की साड़ी पहने, हाथ में भगवा ध्वज लिये हुए चित्रित किया जाता है तथा साथ में सिंह होता है। जो हमेशा गुस्से में होता है ।

भारतमाता की कांस्य मूर्ति

भारत में भारतमाता के बहुत से मन्दिर हैं। काशी का भारतमाता मन्दिर अत्यन्त प्रसिद्ध है जिसका उद्घाटन सन् १९३६ में स्वयं महात्मा गांधी ने किया था। हरिद्वार का भारतमाता मन्दिर भी बहुत प्रसिद्ध है

वेदों का उद्घोष - 'माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः' (भूमि माता है, मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ।)

वाल्मीकि रामायण में - 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' (जननी और जन्मभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है।)

किरन चन्द्र बन्दोपाध्याय का नाटक 'भारत माता' सन् १८७३ में सबसे पहले खेला गया था।

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास आनन्दमठ में सन् १८८२ में वन्दे मातरम् गीत सम्मिलित था जो शीघ्र ही स्वतंतरता आन्दोलन का मुख्य गीत बन गया।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दिनों में भारतमाता की छबि बनी।

अवनीन्द्र नाथ ठाकुर ने भारतमाता को चारभुजाधारी देवी के रूप में चित्रित किया जो केसरिया वस्त्र धारण किये हैं; हाथ में पुस्तक, माला, श्वेत वस्त्र तथा धान की बाली लिये हैं।

सन् १९३६ में बनारस में शिव प्रसाद गुप्त ने भारतमाता का मन्दिर निर्मित कराया। इसका उद्घाटन गांधीजी ने किया।

हरिद्वार में सन् १९८३ में विश्व हिन्दू परिषद ने भारतमाता का एक मन्दिर बनवाया।

उज्जैन में जनवरी २०१८ में भारतमाता का मंदिर उद्घाटित हुआ। यह मंदिर, प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के पास ही स्थित है।

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