bhart mai apradhik nyay parnaali
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भारत में आपराधिक न्याय का एक लंबा इतिहास है। ... भारतीय दंड संहिता (IPC) वर्ष 1860 में लॉर्ड थॉमस मैकाले की अध्यक्षता में गठित भारत के पहले विधि आयोग की सिफारिशों के आधार पर निर्मित की गई थी। इसके अलावा दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) को वर्ष 1973 में अधिनियमित किया गया और 1974 में इसे लागू किया गया।
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आपराधिक न्याय प्रणाली का तात्पर्य सरकार की उन एजेंसियों से है जो कानून लागू करने, आपराधिक मामलों पर निर्णय देने और आपराधिक आचरण में सुधार करने हेतु कार्यरत हैं।
वास्तव में आपराधिक न्याय प्रणाली सामाजिक नियंत्रण का एक साधन होती है, क्योंकि समाज कुछ व्यवहारों को इतना खतरनाक और विनाशकारी मानता है कि वह उन्हें नियंत्रित करने का भरपूर प्रयास करता है।
इस प्रकार की घटनाओं को रोकने, उन्हें नियंत्रित करने और ऐसा करने वालों को दंडित करने का कार्य न्यायिक संस्थानों द्वारा किया जाता है।