Political Science, asked by honeyanu207, 2 months ago

Bharti loktantr ki koi chaar smsyaye btaye?

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Answered by laxmisen894
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आओ गरीबी को एक पहलू से समझने का प्रयास करते हैं

भारत एक कृषि प्रधान देश है। वर्तमान भारत की उत्पादन क्षमता काफी अच्छी है। देश के GDP में लगभग 15 प्रतिशत योगदान कृषि का है। साथ ही 50 प्रतिशत से भी अधिक लोगों की आय का स्रोत कृषि ही है, लेकिन किसान खेती-बाड़ी मजबूरी में करता है। किसान की हालात बद से बदतर होती जा रही है। वो कर्ज में डूबता जा रहा है। आत्महत्या कर रहा है। बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दिलवा पाता है तथा हर संभव प्रयास करता है कि उसकी संतान कृषि न करे, चाहे कोई भी रोजगार कर ले।

भारतीय कृषक की इतनी बुरी दुर्दशा क्यों है। क्या भारत इस बीमारी से लड़ने में सक्षम नहीं है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि इसका प्रयास नहीं किया जा रहा, लेकिन जो प्रयास हो रहे हैं और जिस तरीके से हो रहे हैं, इससे समस्या का समाधान कभी नहीं हो सकता, यह तय है।

भारत के पास विषय विशेषज्ञ हैं और तकनीकी भी है, लेकिन सही रणनीति और क्रियान्वयन का अभाव है। कृषि संबंधी समस्या से निजात पाने के लिए कोई जरूरत नहीं समझी जा रही है, क्योंकि किसानों का गरीबी से बहुत नजदीकी संबंध है, जो देश का सबसे बड़ा मुद्दा है। अगर लोगों की गरीबी जैसी समस्या का समाधान हो जाए, तो लोगों की जीविका सरल हो जाएगी। इससे देश के वर्तमान राजनीति के आधार में से एक बहुत महत्वपूर्ण पिलर टूट जाएगा। अब तक अधिक ध्यान जातिवाद और धर्म पर दिया जाता है, लेकिन वर्तमान में गरीबी सबसे अहम मुद्दा है।

गरीबी ही है, जो देश में तमाम अराजकताओं को जन्म देती है, जैसे चोरी, लूटपाट, सांप्रदायिकता, अशिक्षा, आंतरिक असुरक्षा आदि। शिक्षा का व्यावसायीकरण होने से गरीब अच्छी शिक्षा नहीं ले पाते, जिसकी वजह से वे रोजगार से वंचित रह जाते हैं और बेरोजगारी उनको नये तरीके से गरीब बना देती है। शिक्षा न पाने से वे जीवन के अन्य पहलुओं को समझने में सक्षम नहीं होते और फिर अराजकता को अंजाम देते हैं।

सरकार एक समय तक मुफ्त शिक्षा का इंतजाम भी करती है, लेकिन उसकी गुणवत्ता सवालों के घेरे में रहती है। सरकार द्वारा सामाजिक कल्याण के लिए उठाया गया कोई भी कदम सही परिणाम तक नहीं पहुचता, जबकि इन सबके लिए भारत में एक जटिल सिस्टम का जाल है। शिक्षा में क्या कमी है इससे आप सब परिचित हैं। जो व्यवस्था चल रही है, यह सब तब तक नहीं सुधरेगी, जब तक आप जागरूक होकर पूरी जिम्मेदारी से अव्यस्था के खिलाफ सवाल नहीं खड़ा करेंगे। देश हमारा है, सर्वोच्च संविधान हमारा है, राजनीति हमारी है

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