Bhartiya Khiladiyon ka 2016 me aayojit Olympic me yogdan(hindi essay)
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भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में ओलिंपिक पदको के लिए रुदन रहा है, जबकि अन्य गरीब/छोटे देश जैसे- केन्या,इथोपिया,तिवालू भारत से अच्छा प्रदर्शन करते है।खिलाड़ियों में उत्साह की कमी, कुछ खिलाड़ियों को जो छोटे- छोटे कस्बो/गांवो में रहते है उन्हें प्रोत्साहन नहीं मिलता, भ्रस्टाचार आदि भी अन्य कारण है।भारत में स्कूल स्तर पर भी बच्चो को खेलो में प्रोत्साहित नहीं किया जाता तभी तो किसी भारतीय स्कूल से आजतक कोई पदक नहीं आया है, जबकि रेलवे अपने कम बजट के बावजूद बहुत सारे वैश्विक स्तर के खिलाड़ी देती है जो पदक विजेता भी है।जैसे -साक्षी मलिक, सुशील कुमार, महेंद्र सिंह धोनी आदि भारत में लोग अपना खेल अगर खेलते भी है तो सरकारी नौकरी मिलने के बाद उनका जज्बा ठंडा हो जाता है तथा आगे और कोशिश नहीं करते है।
शुरुआत के 10-12 दिनों में भारत ने कोई मेडल नही जीता .117 खिलाड़ियो में से सिर्फ दो खिलाड़ियो को ही मेडल नसीब हुआ. साक्षी मलिक (कुश्ती) – ब्रोंज मेडल/पदक. पी.वी. सिंधु (बेडमिंटन) – रजत मेडल/पदक. इसके अलावा धावक/जिमनास्ट दीपा करमाकर, स्प्रिंटर ललिता बाबर तथा अदिति अशोक जैसे खिलाड़ियों का परफॉरमेंस बढ़िया था बाकि सभी खिलाड़ियों ने निराश किया।भारत की पोजीशन 67 नंबर पर रही जो भारत जैसे विकासशील देश को शोभा नहीं देता।
भारत का खेल मंत्री कोई खिलाड़ी ही होना चाहिये (जैसे राज्यवर्धन सिंह राठौर) तथा राज्य स्तर तथा छोटे स्तर पर खिलाड़ियों को समितियों में मनोनीत करना चाहिए क्योंकि खिलाड़ी ही खेल की बारीकियों से परिचित होते है, जो खेल के स्तर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। छोटे स्तर पर खेलो का आयोजन/प्रोत्साहन,खिलाड़ियों पर पैसा खर्च, स्वास्थ्य एवं पोषण पर ध्यान, मैदानों का निर्माण तथा रखरखाव तथा छोटे स्तर पर लीग आयोजित करनी चाहिए, जो राज्य स्तर से होते हुए राष्ट्र स्तर तक प्रोत्साहित करे। भारत को लंबे समय के लिए कोई बढ़िया नीति या मॉडल बनाना चाहिए जिसका क्रियान्वयन सही हो तथा खिलाड़ियों को नीतियो में अपना योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिससे भारत आगे के खेलो में अपना योगदान/प्रदर्शन अच्छा कर सकेगा।