Bhartiya kisan aapke vichar se kya hmari arth vyavasta ki redh ki hadhi hai??? Essay in Hindi please....
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भारतीय किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी की तरह काम करता है किसानों के महत्व को किसी भी तरह कम नहीं आंका जा सकता किसान हमारे लिए फल सब्जियां उगाते हैं
भारतीय किसान एक मेहनतकश आदमी होता है वह सुबह से लेकर रात तक धूप, गर्मी तथा ठंड में काम करता है सुबह जल्दी उठकर उसे अपने हल जोतने होते हैं वह बीज डालता है तथा पौधों को पानी देता है
किसानों को अपनी फसलों का ध्यान रखना पड़ता है तथा उन्हें जंगली जानवरों और पक्षियों से भी बचाना होता है किसान को कोई भी छुट्टी नहीं मिलती।
दोपहर में उसे एक पेड़ की छांव में ही अपना खाना खाकर कुछ आराम मिलता है
शाम को वह थक हारकर घर लौटता है
किसान एक बहुत ही सादा जीवन व्यतीत करते हैं
किसान साधारण से घरों में रहते हैं तथा सादा खाना खाते हैं
किसान ज्यादातर बहुत पढ़े-लिखे नहीं होते
किसानों के लिए उनके जानवर बहुत कीमती होते हैं
यदि कभी सूखा पड़े या फसल अच्छी ना हो तो किसान बहुत दुखी होता है।
जब फसल तैयार होती है तो किसान बहुत खुश होता है
किसान अपनी फसल को काटता है, उसे साफ करता है और मंडी में बेचने के लिए ले जाता है
अगर फसल अच्छी ना हो तो उसके पास बीज और खाद खरीदने के लिए बहुत कम पैसा बचते है
कई बार तो किसानों को उधार लेना पड़ता है
कुछ समय से बैंकों ने किसानों को ऋण उपलब्ध करा कर उनके लिए बीज तथा खाद खरीदना आसान बना दिया है ।
Hope this will help you!!!
☺☺ Keep smiling ☺☺
Anonymous:
please avanii24 stop now
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भारत की अधिकांश जनता गाँवों में रहती है। गाँववालों का मुख्य धंधा खेती है। इसलिए भारत की जनसंख्या में किसान अधिक हैं। किसानों की दशा बहुत अधिक विपत्तिग्रस्त है।
किसान चुपचाप दुःख उठाते हैं। यह सचमुच दुर्भाग्य की बात है कि जो सारे राष्ट्र को खिलाते हैं वे स्वयं भूखों मरते हैं।
पहले किसान धनी जमींदारों का खेत जोतते थे। जमींदार किसानों से ज्यादा मालगुजारी वसूल करते थे। जमीन की तरक्की के लिए वे रुपए खर्च नहीं करते थे।
किसानों को उपज के लिए वर्षा पर निर्भर करना पड़ता था। सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं था। बाढ़ और सूखा बार-बार आते थे। इससे उन्हें बड़ा दुःख होता था। इस के अलावा किसान साल में छः महीने बेकार रहते थे। पर, बेकार समय के लिए कोई धंधा नहीं था। इन सबके फलस्वरूप भारतीय किसानों की दशा अधिक दुर्दशाग्रस्त थी।
भारतीय किसान युगों से गरीब हैं। इसलिए वे भाग्यवादी हो गए हैं। अब वे स्वयं सोचते हैं कि अपना भाग्य कैसे सुधारें।
भारतीय किसानों की एक विशेषता है, जिसका उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए। वे बहुत सीधे हैं। वे ईमानदार, अतिथि-सत्कार करनेवाले और उदार हैं।
किसान चुपचाप दुःख उठाते हैं। यह सचमुच दुर्भाग्य की बात है कि जो सारे राष्ट्र को खिलाते हैं वे स्वयं भूखों मरते हैं।
पहले किसान धनी जमींदारों का खेत जोतते थे। जमींदार किसानों से ज्यादा मालगुजारी वसूल करते थे। जमीन की तरक्की के लिए वे रुपए खर्च नहीं करते थे।
किसानों को उपज के लिए वर्षा पर निर्भर करना पड़ता था। सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं था। बाढ़ और सूखा बार-बार आते थे। इससे उन्हें बड़ा दुःख होता था। इस के अलावा किसान साल में छः महीने बेकार रहते थे। पर, बेकार समय के लिए कोई धंधा नहीं था। इन सबके फलस्वरूप भारतीय किसानों की दशा अधिक दुर्दशाग्रस्त थी।
भारतीय किसान युगों से गरीब हैं। इसलिए वे भाग्यवादी हो गए हैं। अब वे स्वयं सोचते हैं कि अपना भाग्य कैसे सुधारें।
भारतीय किसानों की एक विशेषता है, जिसका उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए। वे बहुत सीधे हैं। वे ईमानदार, अतिथि-सत्कार करनेवाले और उदार हैं।
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