Social Sciences, asked by kashishpippal143, 6 months ago

bhartiya krishi me kya sudhar kiye jaye jisse bhadti jansankya ko pryapt khadan prapt ho sake​

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Answered by poojaaroul
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स्वतंत्रता के लगभग 53 वर्ष बाद गत 28 जुलाई 2002 को केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नीतीश कुमार ने नई राष्ट्रीय कृषि नीति संसद के पटल पर रखी, इसकी मुख्य विशेषता यह है कि सरकार ने अगले दो दसकों के लिये कृषि क्षेत्र में प्रतिवर्ष 4 प्रतिशत की विकास दर निर्धारित की है। 17 पृष्ठों की कृषि नीति में भूमि सुधार के माध्यम से गरीब किसानों को भूमि प्रदान करना, कृषि जोतों का समेकन, कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ाना, किसानों को फसल के लिये कवर प्रदान करना, किसानों के बीजों के लेन-देन के अधिकार को बनाये रखना जैसे लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त मुख्य फसलों की न्यूनतम मूल्य नीति को जारी रखने का आश्वासन दिया गया है। इस नीति के तहत कृषि का सतत विकास रोजगार सृजन, ग्रामीण क्षेत्रों को स्वालंबी बनाना किसानों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने और पर्यावरण संरक्षित कृषि तकनीकि अपना अन्य मुख्य उद्देश्य है। नीति में कहा गया है कि अप्रयुक्त बंजर भूमि का कृषि और वनोरोपण के लिये प्रयोग बहु फसल और अंत: फसल के माध्यम से फसल गहनता बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा। सरकार कृषि में जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये जोर देगी, इसके अंतर्गत देश में उपलब्ध विशाल जैव विविधता की सूची बनाने तथा उसे वर्गीकृत करने के लिये संबंद्ध कार्यक्रम बनाया जायेगा।

बौद्धिक संपदा समझौते के अंतर्गत भारत की जिम्मेदारियों के अनुसार विशेषकर निजी क्षेत्र में नई किस्मों के विकास और अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के लिये पौध किस्मों को संरक्षण दिया जायेगा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसानों के वाणिज्य उद्देश्यों के संरक्षित किस्मों के ब्राण्डयुक्त बीजों को छोड़कर अपनी कृषि के द्वारा बनाये हुए बीजों के बचत, उपयोग, विनियम, लेन-देन एवं बिक्री के पारस्परिक अधिकार बने रहेंगे किंतु नई किस्मों के विकास के लिये मालिकाना किस्मों पर अनुसंधान करने संबंधी शोद्धार्थियों के हितों की सुरक्षा का ध्यान रखा जायेगा। सरकार का मानना है कि कृषि क्षेत्र में पूँजी निवेश की महती आवश्यकता है। इसलिये सार्वजनिक निवेश के अतिरिक्त कृषि अनुसंधान/मानव संसाधन विकास फसल प्रबंधन व विपणन जैसे क्षेत्रों में निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जायेगा कृषि सुधार के अंतर्गत उत्तर पश्चिम राज्यों की तरह पूरे देश में कृषि जोतों का समेकन फिर किया जायेगा। निर्धारित सीमा से अधिक और परती भूमि को भूमिहीन किसानों बेरोजगार युवकों में प्रारंभिक पूँजी के साथ फिर से बाँटा जायेगा, साथ ही पट्टेदारों तथा फसल हिस्सेदारों के अधिकारों को मान्यता देने के लिये पट्टेदार सुधार किया जायेगा। कृषिनीति में इस बात की भी घोषणा की गयी है कि खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के अंतर्गत एक राष्ट्रीय पशु प्रजनन नीति भी बनायी जायेगी जिससे अंडा, मांस, दूध एवं पशु उत्पादों की आपूर्ति बढ़ायी जा सके। इसके अतिरिक्त सरकार का प्रयास उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी बीज उर्वरक पौध संरक्षण रसायन जैव कृमिनाशी, कृषि मशीनरी एवं ऋण की उचित दरों पर समय से तथा पर्याप्त मात्रा में किसानों तक पहुँचाने की व्यवस्था की जायेगी। कृषि नीति में किसानों की जोखिम प्रबंध का भी ध्यान रखा गया है इसमें कहा गया है कि कृषि उत्पादकों के मूल्यों में बाजारी उतार-चढ़ाव सहित बुवाई से फसल कटाई तक किसानों को बीमा पॉलिसी पैकेज उपलब्ध कराने का प्रयास कराया जायेगा।

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