Bhartiya Shiksha mein Rajneeti Karan ke paksh aur vipaksh mein tark
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अप्रैल 2010 से लागू किया गया। इसे सात साल पूरे हो गए हैं। इसके तहत 6-14 साल तक की उम्र के बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया गया है। शिक्षा की स्थिति खराब होने का एक कारण शिक्षा में बहुत गहरे तक घुसी हुई राजनीति भी है। हर फैसले में राजनीति होती है। जहां राजनीति नहीं होती, वहां बाकी नीतियां होती हैं। कभी आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति लागू होती है तो कभी उसे हटा दिया जाता है, ऐसे ही निर्णय पाठ्यक्रम को लेकर लागू किये जाते हैं, आखिर कब तक शिक्षा जैसे बुनियादी विषयों पर राजनीति होती रहेगी? अगर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर ऊपर उठाना है तो उसके लिए सबसे पहले मानव संसाधन मंत्रालय को स्वयं शिक्षा के प्रति अपना नजरिया बदलना चाहिए। इसके बाद शिक्षकों का बदलते दौर के साथ शिक्षा के प्रति अपना नजरिया दुरुस्त करने की सलाह देनी चाहिए। शिक्षा से संबंधित बड़े फैसलों में शिक्षकों के विचारों को जगह देनी चाहिए, यहां शिक्षकों का मतलब शिक्षकों की राजनीति से जुड़ी इकाइयां बिल्कुल नहीं है।