Bhartiye sanskriti ke vikas me hindi sahitya ka yogdaan
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हिन्दी साहित्य का प्रारम्भ मध्यकाल में अवधी और ब्रज भाषाओं में धार्मिक और दार्शनिक काव्य रचनाओं से हुआ। इस काल के प्रसिद्ध कवियों में कबीर और तुलसीदास विख्यात हैं। आधुनिक युग में खड़ी बोली ज्यादा लोकप्रिय हो गई और संस्कृत में नानाविध साहित्य की रचना हुई।
देवकीनन्दन खत्री द्वारा लिखित चन्द्रकान्ता को हिन्दी गद्य की प्रथम कृति माना गया है। मुंशी प्रेमचन्द हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार थे। मैथिलीशरण गप्त, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानन्दन पंत, महादेवी वर्मा और रामधारी सिंह दिनकर इस काल के अन्य प्रसिद्ध कवि थे।
ब्रिटिश युग में पश्चिमी विचारधारा के प्रभाव और मुद्रणालय के आरम्भ होने से साहित्य के क्षेत्र में एक क्रान्ति आई। स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन को बल देने और समाज में मौजूद बुराइयों को दूर करने के उद्देश्य से रचनाएं तैयार की गई। भारत में विज्ञान की शिक्षा प्रारम्भ करने के राम मोहन राय के अभियान और स्वामी विवेकानन्द की कृतियों को भारत में अंग्रेजी साहित्य का बहुत बड़ा उदाहरण माना गया।
विगत 150 वर्षों के दौरान, आधुनिक भारतीय साहित्य के विकास में बहुत से लेखकों का योगदान रहा है, कई क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी में रचनाएं की। एक महान बंगाली लेखक श्री रवीन्द्र नाथ टैगोर पहले भारतीय थे जिन्हें वर्ष 1913 में साहित्य (गीतांजली) के लिए नोबेल पुरसकर प्रदान किया गया था।
I have copied this same in my notebook and teacher liked it..so I hope it will help u also
देवकीनन्दन खत्री द्वारा लिखित चन्द्रकान्ता को हिन्दी गद्य की प्रथम कृति माना गया है। मुंशी प्रेमचन्द हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार थे। मैथिलीशरण गप्त, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानन्दन पंत, महादेवी वर्मा और रामधारी सिंह दिनकर इस काल के अन्य प्रसिद्ध कवि थे।
ब्रिटिश युग में पश्चिमी विचारधारा के प्रभाव और मुद्रणालय के आरम्भ होने से साहित्य के क्षेत्र में एक क्रान्ति आई। स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन को बल देने और समाज में मौजूद बुराइयों को दूर करने के उद्देश्य से रचनाएं तैयार की गई। भारत में विज्ञान की शिक्षा प्रारम्भ करने के राम मोहन राय के अभियान और स्वामी विवेकानन्द की कृतियों को भारत में अंग्रेजी साहित्य का बहुत बड़ा उदाहरण माना गया।
विगत 150 वर्षों के दौरान, आधुनिक भारतीय साहित्य के विकास में बहुत से लेखकों का योगदान रहा है, कई क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी में रचनाएं की। एक महान बंगाली लेखक श्री रवीन्द्र नाथ टैगोर पहले भारतीय थे जिन्हें वर्ष 1913 में साहित्य (गीतांजली) के लिए नोबेल पुरसकर प्रदान किया गया था।
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