bhasan on bharistachar
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भ्रष्टाचार से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा शक्तिशाली स्थिति में होकर बेईमानी या अनैतिक आचरण का कोई कार्य करना है। कई लोगों को विशेष रूप से युवा छात्रों को भ्रष्टाचार और इसके असंतोष के बारे में विस्तार से जानने के लिए बहुत जिज्ञासा होता है और ऐसा इसलिए क्योंकि यह हमारे देश के आर्थिक विकास और समृद्धि को प्रभावित कर रहा है। भ्रष्टाचार पर हमारी स्पीच खासकर की लम्बी वाली स्पीच इस विषय पर विस्तृत जानकारी को साझा करती है। यदि आप बहस के लिए स्पीच तैयार करना चाहते हैं तो भ्रष्टाचार पर लघु भाषण को एक नमूने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। भ्रष्टाचार पर स्पीच में प्रयुक्त भाषा इतनी सरल है कि एक बच्चा भी इसके अर्थ को समझ सकता है। स्पीच इतनी प्रभावशाली है कि यह आपके दर्शकों पर असर छोड़ने में आपकी मदद भी कर सकती है।
mitanshugarg1:
soory bro but in punjabi
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भ्रष्टाचार पर भाषण
भ्रष्टाचार से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा शक्तिशाली स्थिति में होकर बेईमानी या अनैतिक आचरण का कोई कार्य करना है। कई लोगों को विशेष रूप से युवा छात्रों को भ्रष्टाचार और इसके असंतोष के बारे में विस्तार से जानने के लिए बहुत जिज्ञासा होता है और ऐसा इसलिए क्योंकि यह हमारे देश के आर्थिक विकास और समृद्धि को प्रभावित कर रहा है। भ्रष्टाचार पर हमारी स्पीच खासकर की लम्बी वाली स्पीच इस विषय पर विस्तृत जानकारी को साझा करती है। यदि आप बहस के लिए स्पीच तैयार करना चाहते हैं तो भ्रष्टाचार पर लघु भाषण को एक नमूने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। भ्रष्टाचार पर स्पीच में प्रयुक्त भाषा इतनी सरल है कि एक बच्चा भी इसके अर्थ को समझ सकता है। स्पीच इतनी प्रभावशाली है कि यह आपके दर्शकों पर असर छोड़ने में आपकी मदद भी कर सकती है।
भ्रष्टाचार पर स्पीच (Speech on Corruption in Hindi)भ्रष्टाचार पर स्पीच - 1
आदरणीय शिक्षकगण और छात्रों को मेरा शुभ नमस्कार!
आज की स्पीच का विषय भ्रष्टाचार है और मैं उसी पर अपने विचारों को साझा करूँगा विशेष रूप से राजनीतिक भ्रष्टाचार पर। हमारे देश के गठन के बाद से सब कुछ राजनीतिक नेताओं और सरकारी क्षेत्रों में शासन करने वालों द्वारा तय होता है। जाहिर है हम एक लोकतांत्रिक देश हैं लेकिन जो भी सत्ता में आ जाता है वह उस शक्ति का दुरुपयोग करके अपने निजी लाभ के लिए धन और संपत्ति हासिल करने की कोशिश करता है। आम लोग खुद को हमेशा अभाव की स्थिति में पाते हैं।
हमारे देश में अमीर और गरीब के बीच का अंतर इतना बढ़ गया है कि यह हमारे देश में भ्रष्टाचार का एक स्पष्ट उदाहरण है जहां समाज के एक वर्ग के पास समृद्धि और धन है और वहीँ दूसरी तरफ अधिकांश जनता गरीबी रेखा से नीचे रहती है। यही कारण है कि कुछ देशों की अर्थव्यवस्था को गिरावट का सामना करना पड़ रहा है जैसे अमरीका की अर्थव्यवस्था।
यदि हम अपने देश के जिम्मेदार नागरिक हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि यह भ्रष्टाचार हमारे राष्ट्र के आर्थिक विकास में खाई है और हमारे समाज में अपराध को जन्म दे रहा है। यदि हमारे समाज का बहुसंख्यक वर्ग अभाव और गरीबी में रहना जारी रखेगा और किसी भी रोजगार का अवसर नहीं मिलेगा तो अपराध दर कभी कम नहीं होगी। गरीबी लोगों की नैतिकता और मूल्यों को नष्ट कर देगी जिससे लोगों के बीच नफरत में वृद्धि होगी। हमारे इस मुद्दे को हल करने और हमारे देश के संपूर्ण विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करने हेतु संघर्ष करने का यह सही समय है।
इस तथ्य की परवाह किए बिना कि असामाजिक तत्व हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था के भीतर हैं या बाहर हैं संसद को इनके खिलाफ सख्त कानूनों को पारित करना चाहिए। हमारे देश में सभी के लिए एक समान व्यवहार होना चाहिए।
यदि कोई भ्रष्टाचार के पीछे कारणों का विचार और मूल्यांकन करता है तो यह अनगिनत हो सकते हैं। हालांकि भ्रष्टाचार के रोग फैलने के लिए जिम्मेदार कारणों में मेरा मानना है कि सरकार के नियमों और कानूनों के प्रति लोगों का गैर-गंभीर रुख तथा समाज में बुराई फ़ैलाने वालों के प्रति सरकार का सहारा है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिन लोगों को भ्रष्टाचार का अंत करने के लिए नियोजित किया जाता है वे स्वयं अपराधी बन जाते हैं और इसे प्रोत्साहित करते हैं। हालांकि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई सख्त कानून हैं जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, भारतीय दंड संहिता 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 आदि लेकिन इन कानूनों का कोई गंभीर क्रियान्वयन नहीं है।
भ्रष्टाचार के पीछे एक और महत्वपूर्ण कारण नौकरशाही और सरकारी कार्यों की पारदर्शिता है। विशेष रूप से सरकार के अधीन चलाए जाने वाले संस्थान गंभीर मुद्दों के तहत नैतिक अस्पष्टता दिखाते हैं। जो धन गरीब लोगों के उत्थान के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए वह खुद राजनीतिज्ञों ने अपने इस्तेमाल के लिए रख लिया। इससे भी बदतर जो लोग समृद्ध नहीं हैं और सत्ता में बैठे लोगों को रिश्वत नहीं दे सकते वे अपना काम नहीं करवा पा रहे हैं इसलिए उनकी काम की फ़ाइल कार्रवाई के बजाए धूल फांक रही है। जाहिर है किसी भी बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में गिरावट तब-तब आएगी जब-जब भ्रष्ट अधिकारियों ने देश पर शासन किया है।
स्थिति बहुत तनावग्रस्त हो गई है और जब तक सामान्य जनता कोई कदम ना उठाए और सतर्क नहीं हो जाती तब तक भ्रष्टाचार को हमारे समाज से उखाड़ फेंका नहीं जा सकता है। तो आइए हम एक साथ खड़े हो और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ें।
धन्यवाद।
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