bhasha ke mukhyath kitne paksh hai
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भाषा
भाषा के मुख्य दो रूप होते हैं
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- मौखिक भाषा
- भाषा का वह रूप जिसमें वक्ता अपनी बात बोलकर समझाता है और श्रोता सुनकर समझता है , उसे मौखिक भाषा कहते हैं । मौखिक भाषा का आधार ध्वनि है भाषा का यही रूप प्राचीनतम है और इसी का प्रयोग व्यापक रूप में किया जाता है ।
- मौखिक भाषा को सीखने के लिए मनुष्य को किसी औपचारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती , बल्कि वह इसे अपने परिवार और समाज से सहज रूप में प्राप्त करता है । परस्पर बातचीत करना , टेलीफोन पर वार्तालाप करना , रिकॉर्डिंग , दूरदर्शन और आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम , सिनेमा , गीत - नाटक भाषण आदि मौखिक भाषा के उदाहरण है ।
२). लिखित भाषा
- भाषा के जिस रूप में एक व्यक्ति लिखकर अपने विचारों को प्रकट करता है , तथा दूसरा व्यक्ति पढ़कर उसके विचारों को समझता है । उसे भाषा का लिखित रूप कहते हैं ।
- भाषा का यह रूप , जिसका आधार ध्वनि चिन्ह ।लिखित भाषा को सीखने के लिए औपचारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता है ।इसी के द्वारा ज्ञान को संचित किया जाता है और इसी के माध्यम से ज्ञान एवं साहित्य एक देश से दूसरे देश तथा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जाता ।पुस्तक , समाचार पत्र , पत्रिकाएं पत्र , डायरी , ईमेल , सूचना इत्यादि लिखित भाषा के उदाहरण है।
- कभी-कभी चिन्हों या संकेतों से भी भावों और विचारों को प्रकट किया जाता है ।इस भाषा को हम सांकेतिक भाषा कह सकते हैं। ट्रैफिक पुलिस का सिपाही संकेतों द्वारा ही वाहनों को रोकने और जाने का संकेत देता है। मुख और वजीर लोग संकेतों से ही अपने मन के भाव और विचार व्यक्त करते हैं । शिशु भी संकेतों से ही अपने मन की बात अपनी माता को बताता है ।
- परंतु इस रूप में प्रकट किए गए विचारों और भावपूर्ण तथा अस्पष्ट होते हैं । इसलिए भाषा के इस रूप को महत्व नहीं दिया जा सकता।
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