Hindi, asked by tsultana, 1 year ago

Bhasha ki paribhasha udharan sahit

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Answered by guroor
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Bhasha vh sadhan hai jise hum bolkar ya likhkar apne bhav prakat kar sakte hai .


Answered by TheRose
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भाषा एक सामाजिक क्रिया है, किसी व्यक्ति की कृति नहीं। समाज में यह विचार-विनिमय का साधन है। मनुष्य और मनुष्य के बीच, वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति का आदान-प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि-संकेतों का जो व्यवहार होता है, उसे भाषा कहते हैं। भाषा किसी-न-किसी वस्तु के बारे में कहती है। वह समाज सापेक्ष होती है। उसका कोर्इ प्रयोजन होता है और विकसित होते-होते वह मनुष्य के विचार और अभिव्यक्ति का साधन बन जाती है। मानव जाति की प्रत्येक पीढ़ी नर्इ भाषा उत्पन्न नहीं करती। वह अपने पूर्वज से उसे सीखती है और इस प्रकार भाषा परम्परागत सम्पत्ति है। उसकी धारा अविच्छिन्न चलती रहती है। साथ ही यह अर्जित सम्पत्ति है अर्थात् आपस के या सामाजिक साहचर्य द्वारा वह सीखनी पडत़ी है।


भाषा से न केवल विषयगत जानकारी प्राप्त होती है, बल्कि इसके माध्यम से हमारा संवेगात्मक विकास होता है। भाषा के माध्यम से मानव अपने विचारों के सृजनात्मकता का जामा पहना कर साहित्य का निर्माण करता है। भाषा न केवल साहित्य-सृजन के लिए होती है, बल्कि अन्य विषयों की जानकारी के लिए भी माध्यम का कार्य करती है।

भाषा मनुष्य के लिए र्इश्वर का अनोखा वरदान है। भाषा के बिना मनुष्य-समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। सभ्यता और संस्कृति के सोपान पर आरोहण करने के लिए भाषा की भूमिका इतना महत्त्वपूर्ण है कि भाषा के बिना किसी प्रकार की उन्नति करना सम्भव नहीं। मैक्समुलर के शब्दों में ‘‘भाषा यदि प्रकृति की देन है तो निसन्देह यह प्रकृति की अन्तिम और सर्वश्रेष्ठ रचना है, जिस प्रकृति ने केवल मनुष्य के लिए ही सुरक्षित कर रखा था।’’
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