bhasha manushya ke liye vardan essay at least of 500 words
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भाषा विचारों को व्यक्त करने का एक प्रमुख साधन है। भाषा मुख से उच्चारित होने वाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है, जिनके द्वारा मन की बता बतलाई जाती है। भाषा की सहायता से ही किसी समाज विशेष या देश के लोग अपने मनोगत भाव अथवा विचार एक-दूसरे पर प्रकट करते हैं। दुनिया में हजारों प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं। हर व्यक्ति बचपन से ही अपनी मातृभाषा या देश की भाषा से तो परिचित होता है लेकिन दूसरे देश या समाज की भाषा से नहीं जुड़ पाता। भाषा विज्ञान के जानकारों ने यूं तो भाषा के विभिन्न वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग-अलग शाखाएं बनाई हैं। यथा, हमारी ¨हदी भाषा, भाषा विज्ञान की दृष्टि से भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है। ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उप भाषाएं हैं। पास-पास बोली जाने वाली अनेक उप भाषाओं में बहुत कुछ साम्य होता है और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं।
मानव समाज के साथ ही भाषा का भी बराबर विकास होता आया है। इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है। सामान्यत: भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं, यह हमारे समाज के निर्माण, विकास, अस्मिता, सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी महत्वपूर्ण साधन है। भाषा के बिना मनुष्य अपूर्ण है और अपने इतिहास और परंपरा से विछिन्न है। भाषा और लिपि भाव व्यक्तिकरण के दो अभिन्न पहलू हैं। एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है जबकि ¨हदी, मराठी, संस्कृत, नेपाली आदि सभी देवनागरी में लिखी जाती हैं।
भाषा के महत्व को मनुष्य ने लाखों साल पहले पहचानकर उसका निरंतर विकास किया है। भाषा में ही हमारे भाव, राज्य, वर्ग, जातीयता और प्रांतीयता झलकती है। इस झलक का संबंध व्यक्ति की मानवीय संवेदना और मानसिकता से भी होता है। जिस व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य और मानसिकता जिस स्तर की होगी, उनकी भाषा के शब्द और उनके मुख्यार्थ भी उसी स्तर के होंगे। समाज में रहकर व्यापार या लोगों से बातचीत के लिए मनुष्य के पास भाषा ही एकमात्र माध्यम है।
मनुष्य को सभ्य और पूर्ण बनाने के लिए शिक्षा जरूरी है और सभी प्रकार की शिक्षा का माध्यम भाषा ही है। साहित्य, विज्ञान, अर्थशास्त्र आदि सभी क्षेत्रों में प्रारंभिक से लेकर उच्चतर शिक्षा तक हर स्तर पर भाषा का महत्व स्पष्ट है। जीवन के सभी क्षेत्रों में किताबी शिक्षा हो या व्यवहारिक शिक्षा, यह भाषा के द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। विश्व में विज्ञान से लेकर भाषा विज्ञान तक सभी क्षेत्रों में नए-नए शोध होते रहते हैं। इनमें अध्ययन व शोध लेखन के लिए नए-नए शब्द रचे जाते हैं। इन शब्दों से संचय भाषा के द्वारा सामाजिक-वैज्ञानिक विकास की अभिव्यक्ति होती है।
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