Bhasha mein Shabd Rachna kis Prakar Hoti Hai udaharan sahit
Answers
Explanation:
दो या दो से अधिक अक्षरों के ऐसे मेल को शब्द कहते हैं,जिसका कुछ अर्थ निकलता हो शब्द कहलाता है
जैसे – राम , सीता ,पुस्तक आदि.
शब्द के भेद
भाव के अनुसार शब्द के भेद
भाव के अनुसार शब्द दो प्रकार के होते हैं-
1 – सार्थक शब्द – ऐसे शब्द जिनका कुछ निश्चित अर्थ निकलता हो ,उसको ‘सार्थक शब्द‘ कहते हैं।
जैसे – पुस्तक , आम , लड़का आदि।
2 – निरर्थक शब्द – ऐसे शब्द जिनका कुछ भी अर्थ न निकलता हो ,उसको ‘निरर्थक शब्द’ कहते है।
जैसे – पानी -वानी , रोटी-वोटी आदि।
इनमें ‘पानी’ और ‘रोटी’ तो सार्थक शब्द हैं,परन्तु ‘वानी’और वोटी’ निरर्थक शब्द है।
व्याकरण के अनुसार शब्दों के भेद
व्याकरण के अनुसार शब्दों के 5 भेद होते हैं-
1- संज्ञा
2- सर्वनाम
3- क्रिया
4- विशेषण
5- अव्यय
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद
उत्पत्ति के आधार पर शब्द 4 प्रकार के होते हैं:
तत्सम
तद्भव
देशज
विदेशी
तत्सम शब्द (Tatsam Shabd)
तत्सम शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों, तत् + सम् से मिलकर बना है। तत् का अर्थ है – उसके, तथा सम् का अर्थ है – समान। अर्थात – ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। इनमें ध्वनि परिवर्तन नहीं होता है। हिन्दी, बांग्ला, कोंकणी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तेलुगू, कन्नड, मलयालम, सिंहल आदि में बहुत से शब्द संस्कृत से सीधे ले लिए गये हैं, क्योंकि इनमें से कई भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं।
जैसे – अग्नि, आम्र, अमूल्य, चंद्र, क्षेत्र, अज्ञान, अन्धकार आदि।
तद्भव शब्द (Tadbhav Shabd)
तत्सम शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव कहते हैं। तद्भव का शाब्दिक अर्थ है – उससे बने (तत् + भव = उससे उत्पन्न), अर्थात जो उससे (संस्कृत से) उत्पन्न हुए हैं। यहाँ पर तत् शब्द भी संस्कृत भाषा की ओर इंगित करता है। अर्थात जो संस्कृत से ही बने हैं। इन शब्दों की यात्रा संस्कृत से आरंभ होकर पालि, प्राकृत, अपभ्रंश भाषाओं के पड़ाव से होकर गुजरी है और आज तक चल रही है।
जैसे –
मुख से मुँह
ग्राम से गाँव
दुग्ध से दूध
भ्रातृ से भाई आदि।
तत्सम और तद्भव शब्दों के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें : तत्सम और तद्भव शब्द परिभाषा और उदाहरण
देशज शब्द
ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति के बारे में कोई जानकारी ना हो कि वो किस भाषा से लिए गए हैं उनको देशज शब्द कहते हैं. ऐसे शब्द सामान्य तौर पर बोलचाल की भाषा में प्रयोग किये जाते हैं
जैसे: लोटा, डिब्बा इत्यादि
विदेशी शब्द
ऐसे शब्द जो विदेशी भाषाओँ से ज्यों त्यों या थोड़ा परिवर्तित करके लिए जाते हैं उनको विदेशी शब्द कहते हैं
जैसे: इनाम, दीवार आदि
शब्द रूप (Shabd Roop)
रूप या शब्द रूप किसी वाक्य में प्रयुक्त शब्द को कहते हैं। इसे पद भी कहा जाता है। शब्दों के दो रूप होते हैं। एक तो शुद्ध रूप या मूल रूप है जो कोश में मिलता है और दूसरा वह रूप है जो किसी प्रकार के संबंध-सूत्र से युक्त होता है। यह दूसरा, वाक्य में प्रयोग के योग्य रूप ही ‘पद’ या ‘रूप’ या शब्द रूप कहलाता है।
शब्द रूप की परिभाषा (Definition of Shabd Roop)
संस्कृत में ‘शब्द’ या मूल रूप को ‘ प्रकृति’ या ‘प्रातिपदिक’ कहा गया है और सम्बन्ध-स्थापन के लिए जोड़े जाने वाले तत्त्व को ‘प्रत्यय’। महाभाष्यकार पतंजलि कहते हैं कि वाक्य में न तो केवल ‘प्रकृति’ का प्रयोग हो सकता है, न केवल प्रत्यय का। ये दोनों मिलकर प्रयुक्त होते हैं।
(नापि केवला प्रकृति: प्रयोक्तव्या नापि केवल प्रत्ययः)।
प्रकृति और प्रत्यय दोनों के मिलने से जो बनता है उसे ही ‘ पद ‘ या ‘रूप’ कहते हैं। उदाहरण के लिए वृक्षात् पत्राणि पतन्ति।
इस वाक्य में वृक्ष पत्र आदि शब्द के बजाय उसके प्रत्यय सहित रूप पद वृक्षात्, पत्राणि आदि का प्रयोग हुआ है। लेकिन सभी भाषाओं में शब्द और पद के रूप में इतनी भिन्नता नहीं होती है।
संस्कृत में करीब 2400 शब्द हैं जिनके रूप हमें याद करने होते हैं. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में रूप याद करना आसान नहीं है. यहाँ एक ट्रिक होती है. आप देखेंगे कि प्रथम और द्वितीय में तीनों वचनों में रूप कुछ कुछ अलग और कुछ कुछ समान होते हैं और तृतीय विभक्ति से लेकर सप्तमी विभक्ति तक सबमे परिवर्तन लगभग एक समान होता है
यहाँ आपके लिए कुछ परीक्षा उपयोगी संस्कृत शब्द रूप के उदाहरण दिए जा रहे हैं:
बालक शब्द का रूप
विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा बालकः बालकौ बालकाः
द्वितीया बालकम् बालकौ बलकान
तृतीया बाल्केन बालकाभ्याम् बालकैः
चर्तुथी बालकाय बालकाभ्याम् बालकेभ्यः
पन्चमी बालकात् बालकाभ्याम् बालकेभ्यः
षष्ठी बालकस्य बालकयोः बालकानाम्
सप्तमी बालके बालकयोः बालकेषु
सम्बोधन हे बालक! हे बालकौ! हे बालकाः
बालिका शब्द का रूप
विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा बालिका बालिके बालिकाः
द्वितीया बलिकाम् बालिके बालिकाः
तृतीया बालिकया बलिकाभ्याम् बालिकाभिः
चर्तुथी बलिकायै बलिकाभ्याम् बालिकाभ्यः
पन्चमी बालिकायाः बलिकाभ्याम् बालिकाभ्यः
षष्ठी बालिकायाः बालिकयोः बालिकानाम्
सप्तमी बालिकायाम् बालिकयोः बालिकासु
सम्बोधन हे बालिके! हे बालिके!
Explanation:
Hope this will help you!