Hindi, asked by hhiihihi4609, 1 year ago

BHASHA OR BOLI M KYA ANTAR HAI ?

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Answered by Sakshibabe968
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बोली और भाषा
वैसे तो बोली और भाषा में कोई खास मौलिक अंतर नहीं है, क्योंकि अंतर दोनों के व्यवहार-क्षेत्र के विस्तार पर निर्भर करता है। वैयक्तिक विविधता के चलते एक समाज में बोली जाने वाली एक ही भाषा के कई रूप दिखाई देते हैं। दरअसल, बोली भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इसका संबंध ग्राम या मंडल से रहता है। इसके बोलने वालों का क्षेत्र काफी कम होता है यानी बोली बोलने वालों की संख्या कम होती है। इसमें प्रधानता व्यक्तिगत बोली की रहती है तथा देशज शब्दों की भरमार होती है। यह मुख्य रूप से बोलचाल की भाषा है, इसलिए व्याकरणिक दृष्टि से भी बोली बहुत ज्यादा परिष्कृत नहीं होती है और यही वजह है कि इसमें साहित्यिक रचनाओं का प्राय: अभाव रहता है। भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त करते है और इसके लिये हम जिस सवाक, पारिभाषित ध्वनियों का उपयोग करते हैं वे सभी मिलकर एक सम्पूर्ण भाषा की अवधारणा बनाते हैं । प्राय: भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिये लिपियों की सहायता लेनी पड़ती है। भाषा और लिपि, भाव व्यक्तीकरण के दो अभिन्न पहलू हैं। एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है, और दो या अधिक भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है । उदाहरणार्थ पंजाबी, गुरूमुखी तथा शाहमुखी दोनो में लिखी जाती है जबकि हिन्दी, मराठी, संस्कृत, नेपाली इत्यादि सभी देवनागरी में लिखी जाती है। भाषा अथवा कहें परिनिष्ठित भाषा बोली की विकसित अवस्था है। बोली की अपेक्षा भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है। यह एक प्रांत या उपप्रांत में प्रचलित होती है। अक्सर यह देखने में आता है कि भाषाओं में से कोई-कोई अपने गुण-गौरव, साहित्यिक अभिवृद्धि, जन-सामान्य में अधिक प्रचलन की वजह से राजकीय कार्य के लिए चुन भी ली जाती है और उसे राजभाषा घोषित कर दिया जाता है। पंजाबी, मराठी, तमिल या तेलुगु जैसी भाषाएं इसका उदाहरण हैं, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि हर भाषा राजकीय भाषा ही हो। उदाहरण के लिए मैथिली कभी बोली थी। मैथिली बोलने वालों की तादाद और इस बोली में रचित साहित्य को देखते हुए इसे भाषा का दर्जा दे दिया गया, मगर मैथिली राजभाषा नहीं है। इसी तरह और भी कई भाषाएं हैं। कहने का आशय यह है कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में भारतीय भाषाओं को शामिल करने के पीछे भी तर्क यही होता है कि किसी भी भाषा का फैलाव कितना है, उसको बोलने वाले लोग कितने हैं। किसी प्रदेश की राज्य सरकार के द्वारा उस राज्य के अंतर्गत प्रशासनिक कार्यों को सम्पन्न करने के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, उसे राज्यभाषा कहते हैं। यह भाषा सम्पूर्ण प्रदेश के अधिकांश जन-समुदाय द्वारा बोली और समझी जाती है। प्रशासनिक दृष्टि से सम्पूर्ण राज्य में सर्वत्र इस भाषा को महत्त्व प्राप्त रहता है। भारतीय संविधान में राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए हिन्दी के अतिरिक्त 21 अन्य भाषाएं राजभाषा स्वीकार की गई हैं। राज्यों की विधानसभाएं बहुमत के आधार पर किसी एक भाषा को अथवा चाहें तो एक से अधिक भाषाओं को अपने राज्य की राज्यभाषा घोषित कर सकती हैं। राष्ट्रभाषा सम्पूर्ण राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है। प्राय: वह अधिकाधिक लोगों द्वारा बोली और समझी जाने वाली भाषा होती है। प्राय: राष्ट्रभाषा ही किसी देश की राजभाषा होती है

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sukhi132259: hii
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