bhashan Pratiyogita Ke Liye kaksha kaksha Mein CCTV camera ka upyog par speech
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अमित मिश्रा
कभी अपनी यादों को सहेज कर रखने वाले कैमरा अब नए अवतार में आ चुका है। वह आपकी यादों को ही नहीं आपके हर पल पर नजर रखता है। सीसीटीवी कैमरे जहां सेफ्टी के टूल की तरह उभरे हैं तो हिडेन कैमरे करप्शन से लेकर शोषण के खिलाफ हथियार की तरह सामने आए हैं।
बड़े काम का कैमरा- एक जमाना था जब सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल दुकानों और ऑफिसों तक ही सीमित था। वक्त बदला और बढ़ती तकनीक और घटती कीमतों की वजह से सीसीटीवी कैमरे आम आदमी की पहुंच में आ गए। सीसीटीवी कैमरे न केवल सेफ्टी का एक सेंस देते हैं, बल्कि जहां आपकी आंख नहीं पहुंच सकती वहां तक आपको पहुंचाते हैं।
पार्किंग में खड़ी गाड़ी से लेकर आपके घर में एंट्री करने वाले तक सब पर साथ-साथ नजर रखी जा सकती है। इतना ही नहीं, घर के बाहर होने पर मोबाइल के जरिए घर की लाइव फुटेज भी देख सकते हैं।
क्या है CCTV कैमरा CCTV का फुलफॉर्म क्लोज सर्किट टीवी कैमरे है।
इसे समझने के लिए हमें यह समझना पड़ेगा कि क्यों इन्हें क्लोज सर्किट कैमरा कहा जाता है। किसी भी कैमरे से रेकॉर्ड हुई किसी भी चीज को देखने के लिए एक सर्किट के जरिए दर्शक तक पहुंचाया जाता है। केबल टीवी के प्रोग्रामों को देखने के लिए या तो केबल कंपनी कनेक्शन देती है या हम खुद ही डायरेक्ट टु होम सर्विस के जरिए प्रोग्राम को घर पर डिकोड कर लेते हैं।
इस तरह के कैमरा ट्रांस्मिशन को ओपन सर्किट कैमरा ट्रांस्मिशन कहते हैं, मतलब वह ट्रांस्मिशन जिसे कोई भी देख सकता है। इसके विपरीत जब कैमरे से रेकॉर्ड की कई किसी भी गतिविधि को सीमित लोग ही देख सकें तो उसे क्लोज सर्किट कैमरा ट्रांस्मिशन सकते हैं। ये कैमरे किसी खास जगह की गतिविधि को रेकॉर्ड करके सीमित लोगों तक उसे पहुंचाते हैं।
जगह और जरूरत के हिसाब से मार्केट में कई तरह के कई तरह के क्लोज सर्किट कैमरे मिलते हैं- आमतौर पर बॉक्स की तरह दिखने वाले कैमरे, जिसमे एक छोर पर लैंस के साथ आयताकार यूनिट होती है और दूसरी छोर पर विडियो रेकॉर्डर होता है। इनडोर इस्तेमाल के लिए बेहतर होते हैं।
बुलेट कैमरा:- यह कैमरा ट्यूब की तरह होता है। इसमें सिल्वर या एल्युमिनियम शेप के कवर में लेंस होते हैं जिससे रेकॉर्डिंग यूनिट जुड़ा रहता है। बाहर की हाई रेजॉल्युशन रेकॉर्डिंग के लिए बेहतर होते हैं।
डोम कैमरा:- इस तरह के कैमरे आसानी से छत पर लगाया जा सकता है। इससे कैमरा लगी जगह का लुक खराब नहीं होता और यह साफ नजर भी नहीं आते। घर या दुकान के भीतर कॉमन एरिया में इस्तेमाल करने के लिए बेहतर होते हैं।
पीटीजेड कैमरा:- पैन-टिल्ट-जूम स्टाइल के कैमरे सर्विलांस के वक्त दाएं, बाएं तो घुमाए ही जा सकते हैं, साथ ही इन्हें मनचाहे ऑब्जेक्ट पर जूम भी किया जा सकता है। बेहद संवेदनशील जगहों जैसे गोदाम या रक्षा प्रतिष्ठानों की निगरानी के लिए बेहतर होते हैं।
डे/नाइट कैमरा:- ये खास तरह के कैमरे दिन की अच्छी लाइट में तो कलर रेकॉर्डिंग करते हैं, लेकिन रात में ब्लैक एंड वाइट रेकॉर्डिंग करते हैं। इस तरह के कैमरों 'इंफ्रारेड कट फिल्टर' होते हैं जो कम रोशनी में भी हाई क्वॉलिटी ब्लैक ऐंड वाइट तस्वीर रेकॉर्ड करते हैं। आउटडोर और इंडोर में 24 घंटे निगरानी के लिए बेहतर होते हैं।
इंफ्रारेड कैमरा:- इस कैमरे के लेंस के चारों तरफ इंफ्रारेड एलईडी लगी होती है जो एक बीम की शक्ल में इंफ्रारेड लाइट छोड़ती है। इससे कम रोशनी में भी तस्वीरें रेकॉर्ड हो जाती हैं। सभी तरह के कैमरे मूलरूप से दो तरह की तकनीक पर काम करते हैं। रात में हाई डेफिनीशन रेकॉर्डिंग के लिए बेहतर होते हैं।
1- ऐनालॉग :
इस तरह के कैमरे तस्वीर को ऐनालॉग फॉर्म में कैप्चर करते हैं। इन्हें डायरेक्ट विडियो टेप पर रेकॉर्ड किया जा सकता है। रेकॉर्डिंग स्पीड को इस तरह से सेट किया जाता है कि 3 घंटे का विडियो टेप 24 घंटे के मूवमेंट्स रेकॉर्ड कर सके। इस वजह से रेकॉर्डिंग का क्वॉलिटी अच्छी नहीं होती।
खासियत : - इसे लगवाने का खर्च कम होता है। - पुरानी तकनीक होने की वजह से इंस्टॉल करवाना ज्यादा आसान। - इसे कम महत्वपूर्ण जगहों मिसाल को तौर पर गोदाम आदि में इस्टॉल करवाना सस्ता और मुफीद साबित होता है।
कमी : - इसे अमूमन लाइव फीड के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता। - इसके जरिए रेकॉर्ड की गई फुटेज को घटना के बाद ही देखा जा सकता है। - इसे ऑपरेट करने के लिए (कैसेट बदलने) किसी अटेंडेंट की जरूरत बनी रहती है।
2- डिजिटल :
इस तरह के कैमरे तस्वीर को डिजिटल फॉर्मेट में रेकॉर्ड करके सीधे कंप्यूटर में भेज सकते हैं। इसकी फुटेज को ऑनलाइन सर्वर पर स्टोर करने के साथ ही इंटरनेट के जरिए कहीं से भी लाइव (मोबाइल पर भी) देखा जा सकता है। इसी फुटेज के लोकल एरिया नेटवर्क के जरिए कहीं से भी आसानी से मॉनिटर किया जा सकता है।
खासियत : - इसके जरिए अच्छी इमेज क्वॉलिटी की तस्वीरें रेकॉर्ड की जा सकती हैं। - रेकॉर्डेड फुटेज को एक सॉफ्टवेयर के जरिए दुनिया भर में कहीं से भी देखा जा सकता है। - सेलेक्टेड लोकेशन का सेक्युरिटी एनालिसिस भी किया जा सकता है।
कमी : - इंस्टॉल करने का खर्च कुछ ज्यादा। - कई तरह के सॉफ्टवेयरों की जरूरत पड़ती है। - मॉनिटरिंग के लिए तकनीक की समझ वाले इंसान की जरूरत होती है।
कभी अपनी यादों को सहेज कर रखने वाले कैमरा अब नए अवतार में आ चुका है। वह आपकी यादों को ही नहीं आपके हर पल पर नजर रखता है। सीसीटीवी कैमरे जहां सेफ्टी के टूल की तरह उभरे हैं तो हिडेन कैमरे करप्शन से लेकर शोषण के खिलाफ हथियार की तरह सामने आए हैं।
बड़े काम का कैमरा- एक जमाना था जब सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल दुकानों और ऑफिसों तक ही सीमित था। वक्त बदला और बढ़ती तकनीक और घटती कीमतों की वजह से सीसीटीवी कैमरे आम आदमी की पहुंच में आ गए। सीसीटीवी कैमरे न केवल सेफ्टी का एक सेंस देते हैं, बल्कि जहां आपकी आंख नहीं पहुंच सकती वहां तक आपको पहुंचाते हैं।
पार्किंग में खड़ी गाड़ी से लेकर आपके घर में एंट्री करने वाले तक सब पर साथ-साथ नजर रखी जा सकती है। इतना ही नहीं, घर के बाहर होने पर मोबाइल के जरिए घर की लाइव फुटेज भी देख सकते हैं।
क्या है CCTV कैमरा CCTV का फुलफॉर्म क्लोज सर्किट टीवी कैमरे है।
इसे समझने के लिए हमें यह समझना पड़ेगा कि क्यों इन्हें क्लोज सर्किट कैमरा कहा जाता है। किसी भी कैमरे से रेकॉर्ड हुई किसी भी चीज को देखने के लिए एक सर्किट के जरिए दर्शक तक पहुंचाया जाता है। केबल टीवी के प्रोग्रामों को देखने के लिए या तो केबल कंपनी कनेक्शन देती है या हम खुद ही डायरेक्ट टु होम सर्विस के जरिए प्रोग्राम को घर पर डिकोड कर लेते हैं।
इस तरह के कैमरा ट्रांस्मिशन को ओपन सर्किट कैमरा ट्रांस्मिशन कहते हैं, मतलब वह ट्रांस्मिशन जिसे कोई भी देख सकता है। इसके विपरीत जब कैमरे से रेकॉर्ड की कई किसी भी गतिविधि को सीमित लोग ही देख सकें तो उसे क्लोज सर्किट कैमरा ट्रांस्मिशन सकते हैं। ये कैमरे किसी खास जगह की गतिविधि को रेकॉर्ड करके सीमित लोगों तक उसे पहुंचाते हैं।
जगह और जरूरत के हिसाब से मार्केट में कई तरह के कई तरह के क्लोज सर्किट कैमरे मिलते हैं- आमतौर पर बॉक्स की तरह दिखने वाले कैमरे, जिसमे एक छोर पर लैंस के साथ आयताकार यूनिट होती है और दूसरी छोर पर विडियो रेकॉर्डर होता है। इनडोर इस्तेमाल के लिए बेहतर होते हैं।
बुलेट कैमरा:- यह कैमरा ट्यूब की तरह होता है। इसमें सिल्वर या एल्युमिनियम शेप के कवर में लेंस होते हैं जिससे रेकॉर्डिंग यूनिट जुड़ा रहता है। बाहर की हाई रेजॉल्युशन रेकॉर्डिंग के लिए बेहतर होते हैं।
डोम कैमरा:- इस तरह के कैमरे आसानी से छत पर लगाया जा सकता है। इससे कैमरा लगी जगह का लुक खराब नहीं होता और यह साफ नजर भी नहीं आते। घर या दुकान के भीतर कॉमन एरिया में इस्तेमाल करने के लिए बेहतर होते हैं।
पीटीजेड कैमरा:- पैन-टिल्ट-जूम स्टाइल के कैमरे सर्विलांस के वक्त दाएं, बाएं तो घुमाए ही जा सकते हैं, साथ ही इन्हें मनचाहे ऑब्जेक्ट पर जूम भी किया जा सकता है। बेहद संवेदनशील जगहों जैसे गोदाम या रक्षा प्रतिष्ठानों की निगरानी के लिए बेहतर होते हैं।
डे/नाइट कैमरा:- ये खास तरह के कैमरे दिन की अच्छी लाइट में तो कलर रेकॉर्डिंग करते हैं, लेकिन रात में ब्लैक एंड वाइट रेकॉर्डिंग करते हैं। इस तरह के कैमरों 'इंफ्रारेड कट फिल्टर' होते हैं जो कम रोशनी में भी हाई क्वॉलिटी ब्लैक ऐंड वाइट तस्वीर रेकॉर्ड करते हैं। आउटडोर और इंडोर में 24 घंटे निगरानी के लिए बेहतर होते हैं।
इंफ्रारेड कैमरा:- इस कैमरे के लेंस के चारों तरफ इंफ्रारेड एलईडी लगी होती है जो एक बीम की शक्ल में इंफ्रारेड लाइट छोड़ती है। इससे कम रोशनी में भी तस्वीरें रेकॉर्ड हो जाती हैं। सभी तरह के कैमरे मूलरूप से दो तरह की तकनीक पर काम करते हैं। रात में हाई डेफिनीशन रेकॉर्डिंग के लिए बेहतर होते हैं।
1- ऐनालॉग :
इस तरह के कैमरे तस्वीर को ऐनालॉग फॉर्म में कैप्चर करते हैं। इन्हें डायरेक्ट विडियो टेप पर रेकॉर्ड किया जा सकता है। रेकॉर्डिंग स्पीड को इस तरह से सेट किया जाता है कि 3 घंटे का विडियो टेप 24 घंटे के मूवमेंट्स रेकॉर्ड कर सके। इस वजह से रेकॉर्डिंग का क्वॉलिटी अच्छी नहीं होती।
खासियत : - इसे लगवाने का खर्च कम होता है। - पुरानी तकनीक होने की वजह से इंस्टॉल करवाना ज्यादा आसान। - इसे कम महत्वपूर्ण जगहों मिसाल को तौर पर गोदाम आदि में इस्टॉल करवाना सस्ता और मुफीद साबित होता है।
कमी : - इसे अमूमन लाइव फीड के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता। - इसके जरिए रेकॉर्ड की गई फुटेज को घटना के बाद ही देखा जा सकता है। - इसे ऑपरेट करने के लिए (कैसेट बदलने) किसी अटेंडेंट की जरूरत बनी रहती है।
2- डिजिटल :
इस तरह के कैमरे तस्वीर को डिजिटल फॉर्मेट में रेकॉर्ड करके सीधे कंप्यूटर में भेज सकते हैं। इसकी फुटेज को ऑनलाइन सर्वर पर स्टोर करने के साथ ही इंटरनेट के जरिए कहीं से भी लाइव (मोबाइल पर भी) देखा जा सकता है। इसी फुटेज के लोकल एरिया नेटवर्क के जरिए कहीं से भी आसानी से मॉनिटर किया जा सकता है।
खासियत : - इसके जरिए अच्छी इमेज क्वॉलिटी की तस्वीरें रेकॉर्ड की जा सकती हैं। - रेकॉर्डेड फुटेज को एक सॉफ्टवेयर के जरिए दुनिया भर में कहीं से भी देखा जा सकता है। - सेलेक्टेड लोकेशन का सेक्युरिटी एनालिसिस भी किया जा सकता है।
कमी : - इंस्टॉल करने का खर्च कुछ ज्यादा। - कई तरह के सॉफ्टवेयरों की जरूरत पड़ती है। - मॉनिटरिंग के लिए तकनीक की समझ वाले इंसान की जरूरत होती है।
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भाषण प्रतियोगिता के लिए कक्षा में CCTV कैमरा का उपयोग
स्कूलों में अकसर बच्चों के लिए भाषण प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं | इनमें बच्चों को अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन करने का मौका नहीं मिलता | इसीलिए CCTV कैमरों का उपयोग अनिवार्य हो जाता है ताकि बच्चे अपने प्रदर्शन को दुबारा देख पाएं व भाषण के दौरान की गई गलतियां सुधार सकें |
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