भतकाल की परिभाषा व प्रकार लिखें | हर एक प्रकार के चार उदाहरण लिखें।
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जिस क्रिया से कार्य के समाप्त होने का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं। इसकी पहचान वाक्यों के अंत में था, थे, थी आदि से होती है।
(i) रमेश पटना गया था।
(ii) पहले मैं लखनऊ में पढ़ता था।
Explanation:
भतकाल की परिभाषा व प्रकार लिखें | हर एक प्रकार के चार उदाहरण लिखें?
जिस क्रिया से कार्य के समाप्त होने का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं
i) सामान्य भूतकाल
i) सामान्य भूतकालजब क्रिया के होने की समाप्ति सामान्य रूप से बीते हुए समय में होती है, किन्तु इससे यह बोध नहीं होता कि क्रिया समाप्त हुए थोड़ी देर हुई है या अधिक वहाँ सामान्य भूत होता है। इस दौरान हम यह निश्चित नहीं कर सकते कि भूतकाल में यह कार्य किस समय किया गया है और जिन वाक्यों के अंत में आ, ई, ए, था, थी, थे आते हैं, वे सामान्य भूतकाल होता है।
जैसे –
जैसे –नेता जी ने भाषण दिया।अकबर
जैसे –नेता जी ने भाषण दिया।
अकबर ने पुस्तक पढ़ी।
कुसुम घर गयी।
(ii) आसन्न भूतकाल
आसन्न का अर्थ होता है -निकट। जिस क्रिया के अभी-अभी या निकट के भूतकाल में पूरा होने का पता चले उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं। अथार्त क्रिया के जिस रूप से हमें यह पता चले की क्रिया अभी कुछ समय पहले ही पूर्ण हुई है उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
जैसे-
जैसे-मैने आम खाया है।
मैं अभी सोकर उठी हूँ।
कमल गया है।
(iii) पूर्ण भूतकाल
(iii) पूर्ण भूतकालक्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है की कार्य निश्चित किये गये समय से पहले ही पूरा हो चूका था, उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – कार्य के पूर्ण होने के स्पष्ट बोध को पूर्ण भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में था, थी, थे, चूका था, चुकी थी, चुके थे आदि आते हैं, वो पूर्ण भूतकाल होता है।
जैसे –
वरुण ने कहानी लिखी थी।
राम ने खाना बनाया था।
हम घूमने गए थे।
(iv) अपूर्ण भूतकालक्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि कार्य भूतकाल में पूरा नहीं हुआ था अपितु नियमित रूप से जारी रहा, उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं।
अथार्त क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में शुरू होने का पता चले लेकिन खत्म होने का पता न चले, उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में रहा था, रही थी, रहे थे आदि आते हैं, वे अपूर्ण भूतकाल होते हैं।
जैसे –
मोहन मैदान में घूम रहा था।
वह हॉकी खेल रहा था।
सुनील पढ़ रहा था।
(v) संदिग्ध भूतकाल
भूतकाल की जिस क्रिया से कार्य होने में अनिश्चितता अथवा संदेह प्रकट हो, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते है। इसमें यह सन्देह बना रहता है कि भूतकाल में कार्य पूरा हुआ या नही। क्रिया के जिस रूप से अतीत में हुए या करे हुए कार्य पर संदेह प्रकट किया जाये, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में गा, गे, गी आदि आते हैं, वे संदिग्ध भूतकाल होते हैं।
जैसे –
जैसे –तू गाया होगा।
बस छूट गई होगी।
दुकानें बंद हो चुकी होगी।
(vi) हेतुहेतुमद् भूतकाल
‘हेतु’ का अर्थ है – कारण। जहाँ भूतकाल में किसी कार्य के न हो सकने का वर्णन कारण के साथ दो वाक्यों में दिया गया हो, वहाँ हेतुहेतुमद् भूतकाल होता है। इससे यह पता चलता है कि क्रिया भूतकाल में होनेवाली थी, पर किसी कारण न हो सका।क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कार्य हो सकता था लेकिन दूसरे कार्य की वजह से हुआ नहीं, उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते हैं।
जैसे –
यदि वर्षा होती तो फसल अच्छी होती।
यदि मैं आता तो वह चला जाता।
यदि श्याम ने पत्र लिखा होता तो वह अवश्य आता।