Bhav spasht Kijiye Prem Pita ka Dikhai nahi deta
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भाव स्पष्ट कीजिए कि प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता प्रेम प्रेम जो हमारे मन के अंदर छुपा है वह कभी दिखता नहीं यह मात्र महसूस किया जाता है यह एक कल्पना है जो हम एक दूसरे को जोड़े रखता है तथा प्रेम मातृ शब्द ही नहीं यह तो एक भाव है जो एक प्रेम दूसरे प्रेम को दिया जाता है प्रेम में ना कोई नीच है ना कुछ है सब एक समान है प्रेम में ही सब कोई उच्च है एवं समीक्षा प्रेम सबको एक शिक्षक के रूप में तैयार करता है तथा एक रुप ही प्रेम का एकमात्र प्रेम है प्रेम में सब लोग एक समान होते हैं यही कारण है कि प्रेम पिता को दिखाई नहीं देता है
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