Bhav spasht Kijiye ya to Kshitij Milan ban jata ya tanti Sanson Ki Dori ? answer in Hindi ....
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भाव स्पष्ट कीजिए -
"या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।"
यह प्रश्न हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता से लिया गया है| यह कविता श्री शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा लिया गया है|
"या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।" इस पंक्ति में कवि ने बताया है कि पक्षी स्वतंत्र होकर क्षितिज यानी आकाश और धरती के मिलन के स्थान तक जाने की इच्छा रखते हैं। वह या तो इसे प्राप्त करना चाहते हैं नहीं तो अपने प्राणों को न्योछावर कर देते है।
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Explanation:
इस पंक्ति में कवि ने बताया है कि पक्षी स्वतंत्र होकर क्षितिज यानी आकाश और और धरती के मिलन के स्थल तक जाने की इच्छा रखते हैं। वह या तो इसे प्राप्त करना चाहते हैं नहीं तो अपने प्राणों को न्यौछावर कर देते हैं
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