bhav spast kijiye- andhi piche jo jal butha, prem harijan bino
Answers
Answered by
25
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
उत्तर : कबीर की सखियों के इन पंक्तियों का भाव यह है कि ज्ञानरूपी आँधी के चलने के बाद जो जल बरसता है। उस जल से यह मन भीग जाता है और मन के सारे मैल मिट जाते हैं और यह मन ईश्वर की भक्ति से भीग जाता है, आनंदित होता है।
कवि का कहने का आशय है कि एक बार सच्चा ज्ञान प्राप्त हो जाने के बाद मन से सारे कलुषित विचारों से शुद्ध हो जाता है।
Answered by
4
भाव स्पष्ट कीजिए -
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
उत्तर-
ज्ञान की आँधी के पश्चात् जो जल बरसा उस जल से मन हरि अर्थात् ईश्वर की भक्ति में भीग गया।
Similar questions