भवाम् देवाचे क दिल्लीमगारे पठति । गांधीनगरे
स्तियाः स्वपित्रो वेवाहिकबार्षिज्या भवग वद्याप
पातु ताश्या मञ्षायाः पदादि वीवा र प्य
लिबल
मामाकर
नजषा
. [
स्वास्थ्य
पिढयण, अवतो , प्रियजः,
वद्यापिनर, पितरों, मदीया वर्ति, आन्द
प्रणाम
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Explanation:
भवाम् देवाचे क दिल्लीमगारे पठति । गांधीनगरे
स्तियाः स्वपित्रो वेवाहिकबार्षिज्या भवग वद्याप
पातु ताश्या मञ्षायाः पदादि वीवा र प्य
लिबल
मामाकर
नजषा
. [
स्वास्थ्य
पिढयण, अवतो , प्रियजः,
वद्यापिनर, पितरों, मदीया वर्ति, आन्द
प्रणामपितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष 16 दिन की अवधि है। इसमें सनातन धर्म के लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनके लिये पिंडदान करते हैं। पितृपक्ष को लेकर यह भी मान्यता है कि अगर इस समय पितरों को प्रसन्न कर लिया जाए तो घर-परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। इसके अलावा जातक और उसके परिवार पर कोई भी बुरा साया या फिर दु:ख-तकलीफ नहीं आती। बता दें कि इस बार पितृपक्ष 2 सितंबर से 17 सितंबर तक है। ऐसे में आप यहां बताये गए इन उपायों को अपनाकर अपने पूर्वजों का आशीर्वाद और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को यदि नियमित रूप से भोजन कराया जाए तो भी पितर प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा अगर घर हो या कार्यक्षेत्र, दोनों ही जगहों पर पितरों की हंसती-मुस्कुराती हुई तस्वीर लगानी चाहिए। लेकिन ध्यान रखें कि तस्वीर दक्षिण-पश्चिम की दीवार या कोने में लगाएं। साथ ही अपने दिन की शुरुआत करते समय सबसे पहले पितरों की तस्वीर को प्रणाम करें। इसके बाद फूल-माला चढ़ाएं और धूपबत्ती जलाकर उनका आर्शीवाद लें।पितृ पक्ष में कौओं को खाना जरूर खिलाएं। इसके अलावा कभी भी पितरों की जयंती और बरसी मनाना न भूलें। इस दिन घर पर कोई न कोई पूजा जरूर रखें। साथ ही उनकी याद में भोजन और मिठाई बांटे। इससे परिवार पर उनकी कृपा हमेशा ही बनी रहती है। इसके अलावा पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप उनके नाम पर प्याऊ बनवाएं। मान्यता है कि इससे वह प्रसन्न होकर जातक को खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं।पितृ पक्ष के दौरान ही अपने पितरों के नाम पर शमशान में बैठने की व्यवस्था करवाएं। आप चाहें तो कोई चबूतरा बनवा सकते हैं। या अगर कोई ऐसा बैठने का स्थान हो जहां पर शेड न हो तो आप उस स्थान के ऊपर शेड डलवा सकते हैं। ऐसा करने से भी पितरों को प्रसन्नता होती है और वह परिवारीजनों को खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा पितरों को प्रसन्न करने के लिए जरूरतमंदों को उनकी जरूरत के अनुसार वस्तुएं दान करें। कहते हैं कि इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनकी खुशी से जातक के जीवन में भी खुशियां आती हैं।
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