Geography, asked by bboy1937, 5 months ago

Bhavishye ke liye sansadhan sanrkshan kyo jruri h?

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Answered by swapnilnagargoje7499
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Answer:

मानव विभिन्न प्राकृतिक साधनों का उपयोग अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिये करता आ रहा है। खाद्यान्नों और अन्य कच्चे पदार्थों की पूर्ति के लिये उसने भूमि को जोता है, सिंचाई और शक्ति के विकास के लिये उसने वन्य पदार्थों एवं खनिजों का शोषण और उपयोग किया है। पिछली दो शताब्दियों में जनसंख्या तथा औद्योगिक उत्पादनों की वृद्धि तीव्र गति से हुई है। विश्व की जनसंख्या आज से दो सौ वर्ष पूर्व जहाँ पौने दो अरब थी वहाँ सवा पाँच अरब पहुँच चुकी है। हमारी भोजन, वस्त्र, आवास, परिवहन, साधन, विभिन्न प्रकार के यंत्र, औद्योगिक कच्चे माल आदि की खपत कई गुनी बढ़ गई है और इस कारण हम प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से गलत व विनाशकारी ढंग से शोषण करते जा रहे हैं। उदाहरणार्थ, पिछली दो शताब्दियों में करोड़ों हेक्टेयर भूमि से प्राकृतिक वनस्पतियों वन आदि को साफ किया गया जिससे मिट्टी का कटाव बढ़ चला। भूमि के गलत उपयोग से उसकी उत्पादन क्षमता घट गयी। विभिन्न खनिज पदार्थों की संचित राशि समाप्तप्राय हो गयी है। हम हवा और पानी को भी प्रकृति के मुफ्त देन समझकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दूषित करने लगे हैं। अनेक जीव जंतुओं का भी हमने सफाया कर दिया। तात्पर्य यह है कि प्राकृृतिक संतुलन बिगड़ने लगा है। यदि यह संतुलन नष्ट हुआ तो मानव का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। अतः मानव के अस्तित्व एवं प्रगति के लिये प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण अत्यावश्यक हो चला है।

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