भय किस रस का स्थाई भाव है
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भय रस का स्थाई भाव भयानक है
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भयानक रस के वर्ण तथा देवता
'नाट्यशास्त्र' में भयानक रस को प्रधान रसों में न परिगणित कर, बीभत्स रस से उत्पन्न बताया है। बीभत्स रस का स्थायी भाव 'जुगुत्सा' है। अप्रिय वस्तु के दर्शन, स्पर्शन अथवा स्मरण से उत्पन्न घृणा का भाव जुगुत्सा कहलाता है। अपराध, विकृत रव अथवा विकृत प्राणी से उत्पन्न मनोविकार भय कहा गया है।
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