भयानक रस का स्थाई भाव और उसकी परिभाषा दीजिए
yar tumlog galt Answer kyu de rahe ho pure 5 marks ka question hai‼️
यहां पीने वाले रस कि नहीं ग्रामर वाले रस की बात हो रही है‼️
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Answer:
जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे सम्बंधित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में व्याकुलता और भय उत्पन्न होता है, उसे भयानक रस कहते हैं. इसका स्थायी भाव भय है...
pr attach vaala jyada shi h ... hehe
Answer:
भयानक रस 11 रस में से एक है इसका स्थायी भाव भय है। इस रस को लेकर भी आचार्यों में पर्याप्त मतभेद है। यहां तक कि कई आचार्यों ने हनुमान जी द्वारा किए गए लंका दहन के दृश्य को भी भयानक रस में नहीं माना है। उनका मानना है कि भयानक रस वहां सिद्ध होता है जहां स्थायी भाव चीर समय तक भय के रूप में हो। युद्ध भूमि में क्षण भर के लिए डरना और कायरों की भांति भाग जाना यह सब भयानक रस का बोध नहीं कराते।
शास्त्रों के अनुसार किसी बलवान शत्रु या भयानक वस्तु को देखकर जो भय उत्पन्न होता है वही भयानक रस है।
आलंबन –
पाप या पाप कर्म , सामाजिक तथा अन्य बुराइयां , हिंसक जीव जंतु , प्रबल अन्यायकारी व्यक्ति , भयंकर अनिष्टकारी वस्तु , देवी संकट , भूत – प्रेत आदि।
उद्दीपन –
आश्रय की असहाय अवस्था , आलंबन की भयंकर चेस्टाएं , निर्जीव स्थान , अपशगुन , आदि।
अनुभाव –
हाथ – पांव कांपना , नेत्र विकराल होना , भागना , स्वेद , उंगली काटना , जड़ता , स्तब्धता , रोमांच , घिघि बंध जाना , मूर्छा , चित्रकार , स्वेद , विवरण , सहायता के लिए इधर-उधर देखना , शरण ढूंढना , दैन्य प्रकाशन , रुदन आदि।
संचारी भाव –
शंका , आवेद , अमर्ष , स्मृति , आशंका , स्मरण , घृणा , शोक , भ्रम , ग्लानि , चिंता , दैन्य , चपलता , किंकर्तव्यविमूढ़ , निराशा , आशा आदि।
भयानक रस व्यक्तिगत जीवन में घटित होने वाली घटनाओं से अछूता नहीं है।
इस रस के अंतर्गत पाप – पुण्य , बुराई , देवी संकट आदि यह सभी भयानक रस के आलंबन तथा संचारी भाव बनते हैं।