World Languages, asked by kumawatashok042, 4 months ago

भयसन्त्रस्तमनसां हस्तपादादिकाः क्रियाः।
प्रवर्तन्ते न वाणी च वेपथुश्चाधिको भवेत्।। हिंदी अर्थ बताओ​

Answers

Answered by disha391346
3

Answer:

पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ - बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 CLASS 8 NOTES | EDUREV

The document पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ - बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 Class 8 Notes | EduRev is a part of the Class 8 Course कक्षा - 8 संस्कृत (Class 8 Sanskrit) by VP Classes.

All you need of Class 8 at this link: Class 8

पाठ का परिचय (Introduction of the Lesson)

प्रस्तुत पाठ संस्कृत के प्रसिद्ध कथाग्रन्थ ‘पञ्चतन्त्रम्’ के तृतीय तंत्र ‘काकोलूकीयम्’ से संकलित है। पञ्चतंत्र के मूल लेखक विष्णुशर्मा हैं। इसमें पाँच खण्ड हैं जिन्हें ‘तंत्र’ कहा गया है। इनमें गद्य-पद्य रूप में कथाएँ दी गई हैं जिनके पात्र मुख्यतः पशु-पक्षी हैं।

पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ

(क) कस्मिश्चित् वने खरनखरः नाम सिंह: प्रतिवसति स्म। सः कदाचित् इतस्ततः परिभ्रमन् क्षुधार्तः न किच्चदपि आहारं प्राप्तवान्। ततः सूर्यास्तसमये एकां महतीं गुहां दृष्ट्वा सः अचिन्तयत्-‘‘नूनम् एतस्यां गुहायां रात्रौ कोऽपि जीवः आगच्छति। अतः अत्रौव निगूढो भूत्वा तिष्ठामि’’ इति।

शब्दार्थ: भावार्थ:

कस्मिश्चित् किसी।

वने जंगल में।

प्रतिवसति स्म रहता था।

कदाचित् किसी समय।

परिभ्रमन् घूमता हुआ।

क्षुधर्तः भूख से व्याकुल।

किच्चदपि किसी भी (कोई भी)।

Explanation:

पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ - बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 CLASS 8 NOTES | EDUREV

The document पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ - बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 Class 8 Notes | EduRev is a part of the Class 8 Course कक्षा - 8 संस्कृत (Class 8 Sanskrit) by VP Classes.

All you need of Class 8 at this link: Class 8

पाठ का परिचय (Introduction of the Lesson)

प्रस्तुत पाठ संस्कृत के प्रसिद्ध कथाग्रन्थ ‘पञ्चतन्त्रम्’ के तृतीय तंत्र ‘काकोलूकीयम्’ से संकलित है। पञ्चतंत्र के मूल लेखक विष्णुशर्मा हैं। इसमें पाँच खण्ड हैं जिन्हें ‘तंत्र’ कहा गया है। इनमें गद्य-पद्य रूप में कथाएँ दी गई हैं जिनके पात्र मुख्यतः पशु-पक्षी हैं।

पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ

(क) कस्मिश्चित् वने खरनखरः नाम सिंह: प्रतिवसति स्म। सः कदाचित् इतस्ततः परिभ्रमन् क्षुधार्तः न किच्चदपि आहारं प्राप्तवान्। ततः सूर्यास्तसमये एकां महतीं गुहां दृष्ट्वा सः अचिन्तयत्-‘‘नूनम् एतस्यां गुहायां रात्रौ कोऽपि जीवः आगच्छति। अतः अत्रौव निगूढो भूत्वा तिष्ठामि’’ इति।

शब्दार्थ: भावार्थ:

कस्मिश्चित् किसी।

वने जंगल में।

प्रतिवसति स्म रहता था।

कदाचित् किसी समय।

परिभ्रमन् घूमता हुआ।

क्षुधर्तः भूख से व्याकुल।

किच्चदपि किसी भी (कोई भी)।

Similar questions