भयदायिनि का शुदूध रूप कया है
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pls mark me the brainliest and have a good day
Explanation:
तू ही बता, इस रिश्ते को क्या नाम दूं...
-भदैनीनामा-
(पत्रकार रजनीश त्रिपाठी की कलम से)
(असमंजस से उबरने में लगभग 48 घंटे लग गए। असमंजस स्वाभाविक था। कहीं कोई मेरे लिखे के भाव पर उंगली न उठा दे। कोई यह न कह बैठे कि अरे, गाढ़ी दोस्ती है तो यह लिखना ही था लेकिन मित्रों अब चाहे जो समझो-कहो, मैं मानूंगा नहीं। लिखूंगा जरूर, बस इस शपथ के साथ कि जो परोसूंगा, वह सोलहों आना शुद्ध यानी सच होगा।)
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हालांकि मेरा जन्म भदैनी (वाराणसी) के भटेले कोठी में हुआ, लेकिन चार साल की उम्र में जब सिर से मां का साया उठ गया तो बचपन को सही लालन-पालन और संस्कार देने के लिए मजबूत ठौर की जरूरत महसूस हुई। बड़ों ने इसी सोच के साथ मुझे चाचा-चाची के साथ रहने के लिए भेजा। शिक्षा विभाग में अधिकारी चाचाजी बिहार सरकार की सेवा में थे लिहाजा उनके साथ अविभाज्य बिहार के विभिन्न जिलों मसलन संथालपरगना, पूर्णिया आदि में बचपन गुजरा। सरकारी स्कूल के स्वस्थ माहौल में पढ़ाई शुरू हुई और घर में बेहतर लालन-पालन के साथ ही सुंदर संस्कार का बीजारोपण हुआ। चूंकि चाचाजी का हर तीसरे साल तबादला हो जाता इसलिए सातवीं कक्षा तक आते-आते यह जरूरी हो गया कि पढ़ाई के लिए यायावरी का दौर खत्म होना चाहिए। बड़ों ने तय किया कि आगे की