Bhed aur bhediya chapter mein kiski Pratik hai
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भेड़ें और भेड़िए श्री हतिशंकर परसाई जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कहानी है . bhed aur bhediya ka saransh bhed aur bheriya kahani ka uddeshya bhed aur bhediya summary in english bhed aur bhediya sahitya sagar bhed aur bheriya story in english bher aur bhediya by harishankar parsai bhede aur bhediye summary
चलना हमारा काम है
वह जन्मभूमि मेरी Wah Janmbhumi Meri
भिक्षुक कविता Bhikshuk Kavita
विनय के पद Vinay Ke Pad
सूर के पद Surdas ke Pad
भेड़ें और भेड़िए Bhed Aur Bheriya
भेड़ें और भेड़िए श्री हरिशंकर परसाई जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कहानी है . इन्होने व्यंगात्मक शैली में वर्तमान लोकतांत्रिक व्यव्स्था का उपहास किया है.कहानी के आरम्भ में वन के पशुओं को लगा कि अब वे प्रजातंत्र की शासन व्यवस्था संभाल सकते हैं .उन्हें लगने लगा की उनका जीवन इतना विकसित हो गया है कि अब उन्हें लोकतंत्र की शासन व्यवस्था को अपना लेना चाहिए . जहाँ पर सभी नियम एवं कानून लागू होने चाहिए . सभी ने मिलकर नीचे किया की वन - प्रदेश में प्रजातंत्र में प्रजातंत्र की स्थापना हो .पशु समाज में आनंद की लहर दौड़ पड़ी .
वन प्रदेश में भेड़ों की संख्या अधिक थी . उन्होंने सोचा कि अब उनका भय दूर हो जाएगा .वे अपने प्रतिनिधित्व द्वारा नियम - कानून बनवाएंगी जिससे की कोई भी जीवधारी किसी अन्य जीव को न मारे .उधर दूसरी तरफ भेड़िये यह सोचकर दुखी हो रहे थे की अब उन पर संकट आने वाला है क्योंकि उनकी संख्या कम थी .भेड़ों को संख्या अधिक होने के कारण पंचायत में उन्ही का बहुमत होगा .यदि बहुमत से भेड़ें यह कानून बनवा देंगी कि कोई पशु किसी को न मारे ,न खाए तो उनका क्या होगा ? वे क्या खायेंगे ,भेड़िये तो भूखें मर जायेंगे . एक बूढ़े सियार को भेड़िये की चिंता का कारण समझ में आ गया .उसने भेड़िये को बहुमत में आने का मार्ग दिखाया .उसने भेड़िये को रूप बदलकर भेड़ों के सामने पेश किया .बूढ़े सियार ने तीन रेंज सियोर्ण की सहायता से भेड़िये के लिए प्रचार किया . उन चारों सियारों से रंग बदल कर ऐसा समां बाधा की सभी भेड़ों को विश्वास हो गया की भेड़िये परमात्मा के रूप हैं,त्यागी हैं ,परोपकारी हैं ,दयावान है. वे भेड़ें की बातों में आकर भेड़ियों की सरकार बनवा देती है .बहुमत पाने के बाद भेड़िये ने भेड़ों के भलाई ने लिए पहला कानून बनवाया . इसमें कहा गया कि
हर भेड़िये को सवेरे नाश्ते के लिए भेड़ का एक मुलायम बच्चा दिया जाए , दोपहर के भोजन में एक पूरी भेड़ तथा शाम को स्वास्थ्य के ख्याल से कम खाना चाहिए, इसलिए आधी भेड़ दी जाए |
भेड़ें और भेड़िए कहानी शीर्षक की सार्थकता
किसी भी कहानी का शीर्षक उसका सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है .हम उसके सहारे कथा के विस्तार को जान पाते हैं . प्रस्तुत कहानी एक प्रतीकात्मक कहानी है जिसमें भेड़ों को जनता तथा सियार को भेड़ियों को चालक नेताओं का प्रतिक बना कर व्यंगात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है . कहानी में भेड़ें आम जनता की तरह हमेशा अपने नेताओं पर विश्वास कर लेती हैं और अंत में ठगी जाती है . दूसरी तरह संत का रूप धरे नेतागण है जो ढोंग और चल करके जनता को हमेशा धोखा देते रहते हैं . रंगे हुए सियार नेताओं के आसपास बने रहने वाले कवि ,पत्रकार ,नेता और धर्मगुरु आदि के रूप में रहते हैं . जो भ्रष्ट नेताओं का सहयोग देते हैं तथा उनका प्रचार करते हैं . अतः इस कहानी के माध्यम से लेखक ने आज की राजनीति पर करारा व्यंग किया है . शीर्षक की दृष्टि से देखा जाए तो यह अत्यंत उचित व साथक है .