bhede aur bhediya Ki Shirshak ki sarthakta in 100 words
Answers
भेड़ और भेडीए कहानी शीर्षक की सार्थकता
किसी भी कहानी का शीर्षक उसका सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है | हम उसके सहारे कथा के विस्तार को जान पाते हैं , यह कहानी एक प्रतीकात्मक कहानी है जिसमें भेड़ों को जनता और सियार को भेड़ीओं को चालक नेताओं का प्रतीक बनाकर व्यंगात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है | कहानी में भेड़ें आम जनता की तरह हमेशा अपने नेताओं पर विश्वास कर लेती हैं और अंत में ठगी जाती हैं |
दूसरी तरफ संत का रूप धारण किए नेता जो ढोंग और छल करके जनता को हमेशा धोखा देते रहते हैं | सियार नेताओं के आस - पास बने रहने वाले कवि , पत्रकार , नेता और धर्मगुरु आदि के रूप में रहते हैं , जो भ्रष्ट नेताओं को सहयोग देते हैं और उनका प्रचार करते हैं | इस कहानी के माध्यम से लेखक नें आज की राजनीति पर करारा व्यंग्य किया है और अगर शीर्षक की दृष्टि से देखा जाए तो यह उचित और सार्थक है |